कार सेवा के दौरान जब आडवाणी-खुराना से मुलाकात हुई!

रुड़की। सन 1986 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय  गोपाल नारसन ने कार सेवा के दौर में कार सेवा के नायक लाल कृष्ण आडवाणी व मदन लाल खुराना  के साक्षात्कार किए थे। यह नवंबर सन 1993 की बात है।उन दिनों भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी हुआ करते थे।जो राम जन्मभूमि मंदिर के लिए निकाली गई रथ यात्रा के भी नायक थे।उनकी यात्रा दिल्ली से मेरठ,मुजफ्फरनगर होते हुए हरिद्वार पहुंचनी थी।उनकी इस यात्रा पर एक इंटरव्यू करने के लिए मैंने उनके निजी सचिव दीपक चौपड़ा से सम्पर्क किया तो आडवाणी जी से इंटरव्यू  का समय  उनकी ही गाड़ी लेने के लिए तय हो गया।जैसे ही उनकी यात्रा मुजफ्फरनगर से नारसन पहुंची तो मुझे आडवाणी जी के साथ उनके पीछे चल रही मिनी बस नुमा गाड़ी में बैठने के लिए कहा गया ,नारसन में कार्यकर्ताओं से स्वागत कराकर आडवाणी जी भी उसी गाड़ी में आ गए और गाड़ी के चलते ही इंटरव्यू का सिलसिला भी शुरू हो गया।उन दिनों पांच राज्यो में विधानसभा चुनाव का प्रचार भी चल रहा था।इसलिए मैंने पहला सवाल दागा, आखिर कब तक आप अयोध्या मुद्दे पर ही वोट मांगते रहेंगे?आडवाणी जी ने जवाब दिया जब तक राम मंदिर अयोध्या के गर्भ ग्रह पर नही बन जाता।मैंने कहा,6 दिसम्बर का अयोध्या कांड कराने की क्या आपकी पहले से कोई योजना थी?उत्तर था,नही ,हमारी योजना इस प्रकार की नही थी,हम कानून के द्वारा विवादित ढांचा हटवाना चाहते थे परंतु यदि वह ध्वस्त हो गया तो कोई अनर्थ भी नही हुआ, बल्कि लोग खुश हुए।क्या विवादित ढांचे के ध्वस्त होने पर लोगो की तरह आप भी खुश हुए?आडवाणी तपाक से बोले,मैं क्या लोगो से बाहर हूं।मैंने सवाल बदला उत्तर प्रदेश में कितनी सीटे मिल जाएगी?वे बोले,बहुमत मिलेगा।मैंने कहा, नही मिला तब?इस पर उन्होंने सफाई दी कि “आप औऱ हम इस गाड़ी से हरिद्वार जा रहे है,यदि रास्ते मे एक्सीडेंट हो गया तब?(हंसने लगे)मैंने सवाल की दिशा बदली,आपकी पार्टी में भी अंतर्कलह के स्वर उभर रहे है?वे बोले,एक बड़े संगठन में चार लोगों के बीच कुछ मतभेद हो सकते है।प्रतिद्वन्वता किसके साथ है,बोले कही कांग्रेस तो कही जनता दल।क्या आप कभी शाही इमाम से मिले है?उत्तर था,व्यक्तिगत तौर पर कभी नही,एक बार उन्हें कार्यक्रम में देखा था।मैंने पूछा, क्या आप मुसलमानों को अपनी तरफ झुका पाए?इस पर आडवाणी जी ने कहा कि ज्यादा नही,यदि उत्तर प्रदेश में कल्याण सरकार पूरे पांच वर्ष चलती तो मुसलमान हमारे साथ होते ।मैंने पूछा, इस बार चुनाव में आपके पास कोई मुद्दा नही है?वे बोले,इशूज न हो, मैं नही मानता।हिमाचल, मध्यप्रदेश, राजस्थान में भाजपा सरकारों की उपलब्धियां ,कल्याण सरकार के समय कोई दंगा न होना ,शिक्षा में महत्वपूर्ण परिवर्तन आदि,मंदिर निर्माण से अलग इशूज है।मैंने कहा,राम लहर इस बार नही है,आपका क्या कहना है?वे बोले,आज राम लहर है जबकि विगत चुनाव में नही थी।मैं 33 प्रतिशत वोट प्राप्त करने को राम लहर नही मानता।तो क्या राम लहर से आपकी नैय्या पार हो जाएगी?उत्तर मिला, क्यो नही,हर्षद कांड,भ्र्ष्टाचार और कांग्रेस सरकार के अन्य कई घोटालों के नाम पर इतनी भीड़ इक्कठी नही होती जितनी राम के नाम पर होती है।कश्मीर के बारे में क्या खयाल है?आडवाणी ने कहा कि कश्मीर को संविधान का हिस्सा बनने का अवसर ही नही दिया गया और कश्मीर गलत हाथो में चला गया ।वहां की समस्या भ्र्ष्टाचार व अनफेयर सलेक्शन है।
इससे पूर्व कार सेवा के दौरान कार सेवको को जगह जगह गिरफ्तार किया जा रहा था।बड़े नेताओं में अटल बिहारी वाजपेयी को गिरफ्तारी के बाद सरसावा शुगर मिल के गेस्ट हाऊस में रखा गया था तो दिल्ली के नेता मदन लाल खुराना देवबंद की नई बनी जेल में बंद थे।मुझे समाचार संपादक मंगल जायसवाल ने कहा कि मैं अटल बिहारी वाजपेयी का इंटरव्यू लेने सरसावा जाऊं ?लेकिन सरसावा मेरे घर नारसन से काफी दूर था इसलिए मैंने मना कर दिया ।जिसपर उन्होंने मुझे देवबंद में मदन लाल खुराना का इंटरव्यू करने और पन्द्रह दिनों तक वहां की खबरें भेजने के लिए मुझे राजी कर लिया।मैंने देवबंद जेल में रहे मदन लाल खुराना से कई बार बातचीत की और उनकी बड़ी बड़ी खबरें अखबार की सुर्खियां भी बनी।मदन लाल खुराना ने अपने साथ एक फोटो भी खिंचवाया और जब वे दिल्ली के मुख्यमंत्री बने तो मुझसे अपने दिल्ली  निवास पर भी वे अच्छी तरह से मिले थे और मित्रवत बाते की थी।

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