नई दिल्ली। नीति आयोग ( NITI Aayog) के सोमवार को जारी एक परिचर्चा पत्र में कहा गया है कि भारत पिछले नौ वर्षों में 24.82 करोड़ आबादी को ‘बहुआयामी गरीबी’ से बाहर निकालने में सफल हुआ है। आयोग की एक विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘2005-06 से भारत में बहुआयामी गरीबी’ शीर्षक वाले चर्चा पत्र का निष्कर्ष है कि 2013-14 से 2022-23 के बीच देश में कुल 24 करोड़ 82 लाख लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। इस चर्चा-पत्र के अनुसार यह सफलता गरीबी के सभी पहलुओं से निपटने के लिये केंद्र सरकार द्वारा उठाये गये विभिन्न महत्वपूर्ण कदमों के चहले प्राप्त हुई है।
परिचर्चा पत्र सोमवार को नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम की उपस्थिति में जारी किया। ऑक्सफोर्ड नीति और मानव विकास पहल (ओपीएचआई) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने इस पत्र के लिए तकनीकी जानकारी प्रदान की है। बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) एक विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त व्यापक उपाय है जो मौद्रिक पहलुओं से परे अनेक आयामों में गरीबी को दर्शाता है।
एमपीआई की वैश्विक कार्यप्रणाली मजबूत अलकिरे और फोस्टर (एएफ) पद्धति पर आधारित है जो अत्यधिक गरीबी का आकलन करने के लिए डिज़ाइन की गई सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत मीट्रिक के आधार पर लोगों को गरीब के रूप में पहचानती है, जो पारंपरिक मौद्रिक गरीबी उपायों के लिए एक पूरक संभावना प्रदान करती है।
चर्चा पत्र के अनुसार, भारत में बहुआयामी गरीबी में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है, जो 2013-14 में 29.17 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 11.28 प्रतिशत हो गई है, यानी 17.89 प्रतिशत अंकों की कमी।
यूपी में 5.94 करोड़ लोगों गरीबी से निकले बाहर, योगी ने जताई खुशी
उत्तर प्रदेश में पिछले नौ वर्षों के दौरान 5.94 करोड़ लोगों के बहुआयामी गरीबी से बाहर निकलने के साथ गरीबों की संख्या में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है, इसके बाद बिहार में 3.77 करोड़, मध्य प्रदेश में 2.30 करोड़ और राजस्थान में 1.87 करोड़ लोग हैं।
बहुआयामी गरीबी उन्मूलन की दिशा में भारत की यात्रा में उत्तर प्रदेश ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कुशल एवं प्रभावी नीतियों के साथ, यूपी में 5.94 करोड़ लोगों को बहुआयामी गरीबी से ऊपर उठाया गया है।