नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने गैरकानूनी धर्मांतरण के एक मामले के संबंध में उत्तर प्रदेश के सैम हिगिनबॉटम कृषि, प्रौद्योगिकी और विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति तथा अन्य अधिकारियों को मंगलवार को गिरफ्तारी से संरक्षण दे दिया। कुलपति राजेंद्र बिहारी लाल और अन्य ने जिस मामले में राहत मांगी है वह दुष्कर्म, गैरकानूनी धर्मांतरण और अनैतिक तस्करी के आरोपों से जुड़ा है। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में चार नवंबर 2023 को एक महिला ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी थी।
न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की अवकाशकालीन पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी और कुलपति द्वारा दायर याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को एक नोटिस भेजा। उच्च न्यायालय ने 11 दिसंबर के अपने आदेश में कहा था, ‘‘‘‘चूंकि याचिकाकर्ताओं पर जघन्य अपराध का आरोप है, इसलिए हम निर्देश देते हैं कि उन्हें 20 दिसंबर, 2023 को या उससे पहले अदालत के सामने आत्मसमर्पण करना चाहिए और नियमित जमानत के लिए आवेदन करना चाहिए।
आरोपी याचिकाकर्ताओं की जमानत अर्जी पर संबंधित अदालत द्वारा किसी भी टिप्पणी से प्रभावित हुए बिना यथासंभव शीघ्रता से गुण-दोष के आधार पर सुनवाई की जाएगी और निर्णय लिया जाएगा।’’ विश्वविद्यालय की पूर्व संविदा कर्मचारी महिला ने कुलपति और अन्य लोगों पर विश्वविद्यालय में नौकरी की पेशकश के बाद यौन शोषण और धर्म परिवर्तन का आरोप लगाया था। लाल और अन्य आरोपी, जो विश्वविद्यालय के कर्मचारी हैं, ने उच्च न्यायालय के समक्ष दलील दी कि महिला द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी दुर्भावना से प्रेरित है क्योंकि उसे बर्खास्त कर दिया गया था।