जलवायु परिवर्तन को आपदा में शामिल किया जाए: तीरथ सिंह रावत

वित्तीय बोझ के समाधान के लिए राज्य को मिले वित्तीय मदद

नई दिल्ली। गढ़वाल सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड  तीरथ सिंह रावत ने आज संसद में नियम 377 के अधीन हिमालई क्षेत्र में हो रहे जलवायु परिवर्तन के संबंध में विषय रखा उन्होंने कहा कि हिमालय वैश्विक औसत की तुलना में तेजी से गर्म हो रहा है जिसका कृषि पर तत्काल प्रभाव पड़ रहा है फसल चक्र बढ़ते मौसम और मिट्टी की नमी में बदलाव आ रहा है। उत्तराखंड में जो मुख्य रूप से पहाड़ी प्रान्त है कुछ तलहटी और मैदानी इलाकों के साथ समस्या बहुत बढ़ गई है क्योंकि अधिकांश कृषि योग्य भूमि है, जैसे जैसे जलवायु परिस्थितियां बदलता है उत्तराखंड में कुछ किसान लाभ प्रदाता बनाए रखने के लिए सरकार या गैर सरकारी संगठनों की मदद से नई फसलों की ओर रुख कर रहे हैं दुर्भाग्य से कई महिलाओं और दलित किसानों के लिए संभव नहीं है हालांकि राज्य सरकार अब कीवी पौधों के वितरण पर सब्सिडी देती है लेकिन फल उगाने के लिए महत्त्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता होती है । क्योंकी गरीब किसानों महिला किसान सीमांत दलित किसानों के पास होने की संभावना नहीं है लोगों को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल ढालने में मदद करने के लिए सरकार और विभिन्न गैर सरकारी संगठन द्वारा जैविक खेती एक और उपाय है इस बदलाव को सुविधाजनक बनाने के लिए उत्तराखंड राज्य जैविक प्रमाणीकरण एजेंसी की स्थापना की गई थी फिंगर बाजार, मडवा, झंगोरा और वार्न यार्ड बाजरा जैसी स्वदेशी फसलों पर जोर दिया गया है जो अधिक जलवायु लचीली फफूंदी प्रतिरोधी है अक्सर सिंचाई के बिना उगाई जा सकती है सीमांत किसान भी अधिक वर्षा के उतार चढ़ाव से जूझ रहे हैं उत्तराखंड में केवल 45% कृषि भूमि सिंचित है अधिक इसलिए अधिकांश लोग अपनी फसलों के लिए वर्षा पर निर्भर है । ऐसे अप्रत्याशित मौसम पैटर्न के साथ सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसी फसल बीमा योजना का समर्थन किया है । उत्तराखंड सरकार स्थानीय किसानों को भी उर्वरक और भारी मशीनरी ब्लड कराने के लिए कई योजनाएं चल रही है । जंगल की आज और कम बारीस जैसी जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को अनुकूल करने में असमर्थ है । हिमालय राज्य में छोटे किसानों को अपनी आजीविका खोने का जोखिम उठाना पड़ रहा है ।

मैं भारत सरकार से आग्रह करता हूं कि उत्तराखंड राज्य में जलवायु परिवर्तन को एक प्राकृतिक आपदा घोषित किया जाए और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण पड़ने वाले वित्तीय बोझ को रहने वाले बिकती बोध को वहन करने के लिए राज्य सरकार को विशेष वित्तिय सहायता प्रदान की जाए।

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