‘अमर बेल’ से लिपट रही झारखण्ड भाजपा की दलित ‘राजनीति’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी
दिल्ली में अटल समाधि पर बिखेरे श्रद्धा के फूल
राजधानी रांची में इस मुलाकात को लेकर चर्चा का बाजार गर्म

सोमनाथ आर्य
रांची। आहिस्ता- आहिस्ता झारखण्ड बीजेपी की दलित ‘राजनीति’ दिल्ली में अमर बेल से लिपट रही है। बीजेपी नेता और नेता प्रतिपक्ष, झारखंड अमर बाउरी ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस मुलाकात को लेकर चर्चा गर्म है। ऐसे समय में जब कांग्रेसी सांसद धीरज साहू के ठिकानों से आयकर विभाग ने भारी कैश की रिकवरी है, इस मुलाकात को अलग तरह से देखा जा रहा है और कई तरह की अटकलें लगाई जा रही है।

राजनीति के समझ रखने वाले विश्वसनीय सूत्र का मानना है कि अमर बाउरी झारखण्ड बीजेपी के लिए आने वाले समय में उदारवादी चेहरा हैं। बीजेपी का स्वर्ण वोट बैंक बाबूलाल की डोमिसाइल नीतियों और तत्कालीन समय के उग्र आंदोलन को आज तक भूल नहीं सकी है। बाबजूद इसके इससे बाबूलाल का कद कम नहीं हुआ, जिसकी खास वजह उनका आदिवासी समाज से जुड़ा होना है। दिल्ली में बैठे झारखण्ड बीजेपी के एक बड़े नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि राजनीति में उदारवादी पैकेज कि कुछ कमियों के बाबजूद उनका रिकॉर्ड उग्र आंदोलन की पृष्ठभूमि से उभरे नेता के मुकाबले बेहतर माना जाता है। बीजेपी हमेशा दूर की राजनीति करती है , और वह प्रयोग करने का खुल कर जोखिम भी उठाती है। यह मुलाक़ात सघन आत्मानुसंधान और नए सामजिक और राजनैतिक मॉडलों को गढ़ने की दिशा में हैं , जिसका सीधा सम्बन्ध आने वाले चुनाव से है।

दिल्ली में अटल समाधि पर बिखेरे श्रद्धा के फूल

हालांकि नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने इसे औपचारिक मुलाकात बताया है। उन्हौंने कहा है वे पीएम मोदी से उनका आशीर्वाद और मार्गदर्शन लेने के लिए समय-समय पर मिलते रहे हैं। आज की मुलाकात भी इसी की एक कड़ी है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात को उन्हौंने शिष्टाचार मुलाकात ही कहा और कोई भी राजनैतिक टिपण्णी करने से वे लगातार बचते रहे। नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने कहा कि पीएम मोदी देश के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता है और बीजेपी के लाखों कार्यकर्ताओं के लिए वे प्रेरणा स्त्रोत हैं। वे खुद को भी बीजेपी का कार्यकर्ता ही मानते हैं। इसलिए उनसे आज औपचारिक मुलाकात के लिए दिल्ली पहुंचा हूं। मुलाकात के बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी की समाधि पर पुष्पांजलि की।

अगले साल झारखण्ड में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव

अब महज दो तीन दिन मात्र फ़्लैश बैक में चलते हैं। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में बीजेपी ने नए चेहरे को मुख्यमंत्री का ताज पहना दिया है। एक आदिवासी तो दूसरा ओबीसी समाज से हैं । राजस्थान पर सस्पेंस है , उम्मीद है वहां भी बीजेपी जाति कार्ड खेलकर अपना मास्टरस्ट्रोक लगाने से नहीं चूकेगी। संभवतः मंगलवार को इससे परदा उठ जायेगा। इधर अगले साल झारखण्ड में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव आगे- पीछे है। झारखण्ड में बाबूलाल मरांडी तकनीकी तौर पर विधानसभा में चूक गए , नतीजा उन्हें नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं मिल सका। तो बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने केंद्रीय मंत्री अश्वनी चौबे को झारखण्ड भेजा, यह तय करने की कौन बाबूलाल मरांडी के बाद बीजेपी में मजबूत स्थिति में है ? गुपचुप तरीके की अनऑफिसियल वोटिंग और राय शुमारी के बाद नेता प्रतिपक्ष का ‘ताज’ अमर कुमार बाउरी को पहनाया गया।

अनुसूचित जाति की नाै सीटें पर बीजेपी की नजर

झारखंड विधानसभा में अनुसूचित जाति के लिए नाै सीटें आरक्षित हैं-देवघर, जमुआ, चंदनकियारी, सिमरिया, चतरा, छतरपुर, लातेहार, कांके और जुगसलाई। इन अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नाै सीटों में भाजपा ने 6 पर जीत दर्ज की। देवघर, जमुआ, चंदनकियारी, सिमरिया, छतरपुर और कांके भाजपा की झोली में गई। झामुमो ने लातेहार और जुगसलाई सीट पर जीत दर्ज की। जबकि राजद के खाते में चतरा गया। जाहिर है झारखंड विधानसभा चुनाव में दलितों ने दिल-खोलकर भाजपा का समर्थन किया। इसका फायदा भाजपा को मिला। एससी की नाै में छह सीटें भाजपा के खाते में गईं और आगामी चुनाव में बीजेपी सभी नाै आरक्षित सीट किसी भी हाल में जीतना चाहती है।

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