उत्तराखंड के साधु लाल पलियाल को मिला डा. अम्बेडकर राष्ट्रीय फेलोशिप सम्मान- 2023

देहरादून। उत्तराखंड (uttarakhand) के साधु लाल पलियाल को भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा आगामी 10 दिसंबर को दिल्ली में बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर राष्ट्रीय फेलोशिप सम्मान 2023 (Babasaheb Dr. Ambedkar National Fellowship Award 2023) से नवाजा जाएगा। साधु लाल पलियाल का जन्म 25 नवंबर 1985 को उत्तरकाशी जिले के नौगांव ब्लॉक के अंतर्गत पालुका गांव में हुआ था इनके पिता का नाम  मोला व माता का नाम चाम्पूली देवी था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा एक आवासीय विद्यालय में हुई थी तत्पश्चात माध्यमिक शिक्षा राजकीय इंटर कॉलेज कलोगी से पूर्ण हुई! साधु लाल पलियाल बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के छात्र थे अपनी कक्षा में अव्वल आया करते थे।
स्नातक शिक्षा, बर्फीला लाल जुवाठा राजकीय स्नातक महाविद्यालय पुरोला से प्राप्त की
तत्पश्चात रामचंद्र उनियाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय उत्तरकाशी वनस्पति विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की। पढ़ाई में गहन रुचि होने के कारण इन्होंने हिंदी और शिक्षाशास्त्र में भी पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री की।
साधु लाल पलियाल विनम्र, शालीन और मददगार स्वभाव के छात्र रहें है अपने छात्र जीवन में ही गरीब छात्रों को निशुल्क टूशन पढ़ाया करते थे! देहरादून में ज़ब राजकीय सेवाओं हेतु तैयारी करते थे तो गरीब बच्चों को निःशुल्क ट्यूशन पढ़ाया करते थे उनके पढ़ाये बच्चें सभी आजकल राजकीय सेवाओं में सेवारत है।
2011 में लोक सेवा आयोग द्वारा इनका चयन जीव विज्ञान के प्रवक्ता में होने के फ्लस्वरुप इनकी तैनाती टिहरी गढ़वाल के देव प्रयाग में हुई।स्कूल में प्रायः गरीब बच्चों को ट्यूशन तथा हर सम्भव मदद करते रहते थे। पर्यावरण संरक्षण हेतु स्कूल में वृहद वृक्षारोपण करते हुए विभिन्न प्रजातियों के पौधों का रोपण कर हरियाली विकसित की।
2014 से लोक सेवा आयोग के माध्यम से वन क्षेत्राधिकारी के पद पर चयन होकर इनका डेढ़ वर्ष तक प्रशिक्षण असम में हुई तटपश्चात उत्तराखंड आकर तैनाती बड़कोट उतरकाशी में हुई।
बड़कोट उतरकाशी में रहकर पलियाल जी ने अपने राजकीय दायित्व के साथ गरीबों, असहाय लोगों की सहायता हेतु सदैव चर्चाओ में रहे! गरीब और असहाय बच्चों की स्कूली फीस हो या कोई गरीब विमार व्यक्ति, पलियाल जी प्रायः आगे रहते है 2020 में उतरकाशी के मसरी गाँव में भयानक आगजनी की घटना हुई थी जिसमें 28 परिवार पूर्णतः बेघर हो गये थे पलियाल  ने भी अपने साथी अधिकारी कर्मचारी, शिक्षकों और समग्र विकास समिति के द्वारा मसरी गाँव में कोरोना काल के दौरान राहत सामग्री और आवश्यक वस्तुवों को गाँव में पहुंचाकर मानवता की मिसाल पैदा की।
2022 में पलियाल  का उप प्रभागीय वनाधिकारी में पदोन्नति होने के फलस्वरूप हरिद्वार वन प्रभाग के रूड़की में तैनात है।

राजकीय दायित्व को वखूबी निभाने के साथ साथ पलियाल जी पर्यावरण संरक्षण पर सुंदर सी कविताएं लिखते है साथ ही प्रकृति फोटो ग्राफी के गहन शौक़ीन है।
बाबा साहेब डा भीम राव अम्बेडकर को अपना आदर्श मानते हुए उनके आदर्शो, शिक्षाओं, सिद्धातों, का पूर्णतः पालन करने के साथ साथ युवाओं को भी सदैव प्रेरित करते रहते है।

उनके समाज के लिए किये गये कार्यों, डॉ अम्बेडकर की शिक्षाओं का प्रसार प्रचार करने हेतु और युवाओं को शिक्षा हेतु प्रेरित करने के क्रम में भारतीय दलित अकादमी दिल्ली द्वारा उन्हें 2023 के लिए डॉ अम्बेडकर फेलोशिप अवार्ड से नवाजती है।

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