9 मेइती चरमपंथी समूहों और सहयोगी संगठनों पर लगा प्रतिबंध

नई दिल्ली। सरकार ने राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और सुरक्षाबलों (Security forces) पर घातक हमले करने को लेकर सोमवार को नौ मेइती चरमपंथी समूहों (Extremist groups) तथा उनके सहयोगी संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया, जो ज्यादातर मणिपुर में सक्रिय हैं।

गृह मंत्रालय ( Home Ministry)द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, जिन समूहों को पांच साल के लिए प्रतिबंधित घोषित किया गया है, उनमें पीपुल्स लिबरेशन आर्मी, जिसे आम तौर पर पीएलए के नाम से जाना जाता है, और इसकी राजनीतिक शाखा, रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट , यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) और इसकी सशस्त्र शाखा मणिपुर पीपुल्स आर्मी (एमपीए) शामिल हैं। इनमें पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलेईपाक (पीआरईपीएके) और इसकी सशस्त्र शाखा रेड आर्मी, कांगलेईपाक कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी) तथा इसकी सशस्त्र शाखा (जिसे रेड आर्मी भी कहा जाता है), कांगलेई याओल कनबा लुप (केवाईकेएल), कोआर्डिनेशन कमेटी (कोरकॉम) और एलायंस फॉर सोशलिस्ट यूनिटी कांगलेईपाक (एएसयूके) भी शामिल हैं।

पीएलए, यूएनएलफ, पीआरईपीएके, केसीपी, केवाई केएल को कई साल पहले गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (1967 का 37) के तहत गृह मंत्रालय द्वारा प्रतिबंधित घोषित किया गया था और नवीनतम कार्रवाई ने प्रतिबंध को पांच साल तक बढ़ा दिया है। अन्य संगठनों के गैरकानूनी घोषित होने की घोषणा ताज़ा है। अपनी अधिसूचना में, गृह मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार की राय है कि यदि मेइती चरमपंथी संगठनों पर तत्काल अंकुश और नियंत्रण नहीं किया गया तो उन्हें अपनी अलगाववादी, विध्वंसक, आतंकवादी और हिंसक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए अपने कैडर को संगठित करने का अवसर मिलेगा।

इसमें कहा गया कि वे भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक ताकतों के साथ मिलकर राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों का प्रचार करेंगे, लोगों की हत्याओं में शामिल होंगे और पुलिस तथा सुरक्षाबलों के जवानों को निशाना बनाएंगे।

अधिसूचना के अनुसार, अंकुश न लगाए जाने की स्थिति में ये समूह और संगठन अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार से अवैध हथियार और गोला-बारूद हासिल करेंगे तथा अपनी गैरकानूनी गतिविधियों के लिए जनता से भारी धन की वसूली करेंगे। इसमें कहा गया, “परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, केंद्र सरकार की राय है कि मेइती चरमपंथी संगठनों को… ‘गैरकानूनी संगठन’ घोषित करना आवश्यक है और तदनुसार, केंद्र सरकार निर्देश देती है कि यह अधिसूचना 13 नवंबर, 2023 से पांच साल की अवधि के लिए प्रभावी होगी।’’

मणिपुर में इस साल मई में जातीय संघर्ष भड़कने के बाद से हिंसा की घटनाएं देखी जा रही हैं और तब से अब तक 180 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। मेइती और कुकी समुदायों के बीच कई मुद्दों को लेकर झड़पें होती रही हैं। मई में शुरू हुई हिंसा का संबंध मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग से जुड़ा है। मणिपुर की आबादी में मेइती लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि नगा और कुकी आदिवासियों की संख्या 40 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से पर्वतीय जिलों में निवास करते हैं।

Leave a Reply