माकपा ने कहा :  धर्मनिरपेक्ष सरकार के गठन के लिए भाजपा को हराये मतदाता

रायपुर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI(M)) के राज्य सचिवमंडल सदस्य संजय पराते ने दूरदर्शन के अपने चुनाव प्रसारण में मतदाताओं से छत्तीसगढ़ में भाजपा (BJP) की हार, एक धर्मनिरपेक्ष सरकार के गठन और विधानसभा ( Assembly) में वामपंथ की उपस्थिति को सुनिश्चित करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा है कि इन चुनावों में भाजपा की हार से अगले साल केंद्र में भी भाजपा के कुशासन से मुक्ति की संभावना और मजबूत होगी।

माकपा नेता (CPI(M) leader) ने अपने संबोधन में कहा कि वर्ष 2018 में हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा (Chhattisgarh  Assembly) के चुनाव में आम जनता ने स्पष्ट रूप से भाजपा के 15 सालों के कुtशासन, उसकी सांप्रदायिक नीतियों और प्राकृतिक संसाधनों की कॉर्पोरेट लूट के खिलाफ अपना जनादेश दिया था। इसके बावजूद भाजपा ने इससे कोई सबक नहीं लिया। उसने पिछले पांच सालों में शांतिप्रिय छत्तीसगढ़ में सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश की है। माकपा नेता ने अपने संबोधन में भाजपा पर आरोप लगाया कि विपक्ष में रहते हुए भी आदिवासियों के बीच उसने धर्म के आधार पर ध्रुवीकरण करने की कोशिश की है। जो आदिवासी ईसाई धर्म के अनुयायी हैं, उनके चर्चों पर हमले किए गए हैं, उनकी लाशों को गांव में दफनाने से रोका गया है और उनका सामाजिक बहिष्कार करके उनके नागरिक अधिकार छीने गए हैं। इस उत्पीड़न के कारण सैकड़ों आदिवासियों को अपने गांवों से पलायन करना पड़ा है।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की जनता को केंद्र की भाजपा राज की नीतियों से उपजे दुष्परिणामों को ही सहना पड़ रहा है। जीएसटी सहित विभिन्न मदों में मोदी सरकार ने छत्तीसगढ़ के 55000 करोड़ रुपए रोक कर रखे हुए हैं। भाजपा राज के दो सालों का बकाया बोनस देने पर भी उसने रोक लगा दी, जिससे किसानों को 5000 करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ है। हसदेव अरण्य के कोयला खदानों को कॉर्पोरेटों को सौंपने के लिए तिकड़मबाजी आज भी जारी है। विधानसभा से पारित आरक्षण विधेयक राज्यपाल के पास लंबित है। कॉरपोरेटो के मुनाफों को बढ़ाने के लिए नगरनार के स्टील प्लांट को बेचने की योजना पर अमल किया जा रहा है तथा वन संरक्षण कानून और आदिवासी वनाधिकार कानून को केंद्र के स्तर पर ही कमजोर किया जा रहा है। इससे आदिवासियों का जीवन-अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है।

पराते ने कहा कि चूंकि भाजपा का इस देश के संविधान तथा संवैधानिक मूल्यों, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता पर विश्वास नहीं है और वह हमारे धनिरपेक्ष देश को हिंदू राष्ट्र में बदलना चाहती है, इसलिए केंद्र और राज्य में उसका सत्ता में आना खतरनाक है। इस चुनाव में भी उसके पास एक भी ऐसा प्रत्याशी नहीं है, जिसका चेहरा ‘उदार’ हो।

उन्होंने कहा कि भाजपा की जन विरोधी नीतियों का नतीजा है कि देश में भयानक आर्थिक असमानता बढ़ गई है। मानव विकास सूचकांक में भारी गिरावट आई है। महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है और नफरत की राजनीति फल-फूल रही है। आज समाज को विभाजित करने और एक अंधविश्वासी और अवैज्ञानिक समाज को गढ़ने की साजिश जोरों पर है। इसलिए इस विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराना बहुत जरूरी है।

‘मोदी की गारंटी’ के नाम पर जारी भाजपा के घोषणापत्र को चुनावी छलावा करार देते हुए उन्होंने इसे रेवड़ियों का पिटारा बताया है और कहा है कि जल, जंगल, जमीन, खनिज और अन्य प्राकृतिक संसाधनों की कॉर्पोरेट लूट और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों और मानवाधिकारों के बारे में भी वह चुप है। ऐसे में उसकी किसी भी गारंटी पर आम जनता कोई भरोसा नहीं कर सकती।

उन्होंने कहा कि आम जनता की अपेक्षाओं पर कांग्रेस भी खरी नहीं उतरी है। भाजपा राज में आदिवासियों पर हुई हिंसा के लिए जिम्मेदारों पर कार्यवाही करने के मामले में वह विफल साबित हुई है। वनाधिकार कानून और पेसा का क्रियान्वयन निराशाजनक है। इसलिए विधानसभा में ऐसे वामपंथी प्रतिनिधि की उपस्थिति भी जरूरी है, जो सरकार को जन अपेक्षाओं के अनुकूल कदम उठाने के लिए मजबूर कर सके। इसके लिए उन्होंने कटघोरा, लुण्ड्रा और भटगांव में माकपा प्रत्याशियों को विजयी बनाने की अपील की।

 

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