रणविजय सिंह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की उत्तराखंड (Uttarakhand) की यात्रा को कांग्रेस राजनीतिक चश्मे से देख रही है। कांग्रेस( Congress) को प्रधानमंत्री की यात्रा को राजनीति करने परहेज करना चाहिए। क्यों कि प्रधानमंत्री अंतत: देश के प्रधानमंत्री है। खैर उत्तराखंड में कांग्रेस विपक्ष की भूमिका में है। इसलिए यदि कांग्रेस ने प्रधानमंत्री की यात्रा को राजनीतिक रंग दिया है,तो दे सकती है,क्यों कि विपक्ष का काम हो हल्ला करना ही है।हां प्रधानमंत्री ने देवभूमि ( heaven) के लिए जो महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं,उसको भी हम नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। इसलिए कांग्रेस को पॉजिटिव तरीके से भी सोचने समझने की जरूरत है। इतना तो तय है कि प्रधानमंत्री की पिथौरागढ़ की यात्रा से पर्यटन को पंख लगेंगे। इससे देश दुनिया के लोगों में मानसखंड के प्रति क्रेज बढ़ेगा। प्रधानमंत्री ने पिथौरागढ़ में योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया ।
इस क्रम में 23 योजनाओं का शिलान्यास एवं लोकार्पण प्रधानमंत्री द्वारा किया गया। कुल मिलाकर 42 सौ करोड़ की धनराशि की योजनाएं जो हैं जो केवल उत्तराखंड के लिए है। प्रधानमंत्री ने आदिकैलाश में आराधना की और जागेश्वर धाम में जाप भी किया।इसके बाद पिथौरागढ़ में एक जनसभा को भी संबोधित किया। खास बात यह रही कि प्रधानमंत्री ने आपदा प्रबंधन के लिए 4 हजार रुपए की धन राशि देने का भी एलान किया। सबसे बड़ी बात यह है कि यह पूरा प्रोग्राम पिथौरागढ़ में आयोजित किया गया। जहां से चीन की सीमा नजदीक है। तभी तो प्रधानमंत्री ने वहां आयोजित जन सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हम न डरते हैं,न डराते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह इशारा चीन की ओर हो था। असल में समय-समय पर चीन इस क्षेत्र में गड़बड़ी करने की कोशिश करता है। भले ही प्रधानमंत्री के इस दौरे को कांग्रेस या बुद्धिजीवी वर्ग राजनीतिक बता रहे हैं लेकिन लोगों को यह भी समझना चाहिए कि इससे उत्तराखंड को काफी लाभ हुआ है। राजनीति तो अपनी जगह पर है। इससे विकास पर फर्क नहीं पड़ना चाहिए। यदि पिथौरागढ़ में विकास कार्य किए जा रहे हैं ,तो इसकी प्रशंसा की जानी चाहिए ।
हर विषय को राजनीति रंग देना ठीक नहीं है। विकास से जुड़ी योजनाएं पटरी पर अएं, इस दिशा में सभी को प्रयास करने की आवश्यकता है। विकास को लेकर निगेटिव बात करना ठीक नहीं है। नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं। यदि उनकी पहल से प्रदेश तरक्की की राह पकड़ता है तो इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है। हां यह भी सच है कि घोषणाएं होती हैं लेकिन जमीन पर नहीं उतरती हैं। अधिकतर यह देखा जाता है कि धन के अभाव में अच्छी अच्छी योजनाएं दम तोड़ देती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो अपना काम कर दिया है। अब योजनाओं को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की है केंद्र तो फंडिंग करेगा लेकिन इसकी मानिटरिंग कैसे हो, इसकी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की है। असल में चुनाव के पहले जो विकास से जुड़ी योजनाएं संचालित होती हैं, उनके बारे में लोगों की आमधारणा यही होती है कि चुनाव है ,इसलिए सरकार इस तरह की घोषणाएं कर रही है। यह महज लालीपाप के सिवाय और कुछ भी नहीं है। प्रधानमंत्री की घोषणाओं को अमली जामा पहनाने की जिम्मेदारी उत्तराखंड सरकार की है। उम्मीद की जानी चाहिए कि उत्तराखंड सरकार इस दिशा में सार्थक प्रयास करेगी ताकि प्रधानमंत्री ने जिन योजनाओं की घोषणाएं की हैं, वे समय पर पूरी होंगी। साथ ही धन के अभाव में ये योजनाएं प्रभावित नहीं होंगी। प्रधानमंत्री ने अपना काम कर दिया है और अब राज्य सरकार की जिम्मेदारी है वह कि इन योजनाओं को समय पर पूरा करवाए। ताकि प्रदेश के लोगों को इसका लाभ मिल सके । साथ देश विदेश से पर्यटक भी उत्तराखंड आएं। पर्यटक आएंगे तभी उत्तराखंड की आर्थिकी सशक्त होगी । साथ ही स्थानीय लोगों की अर्थ व्यवस्था में मजबूती आएगी उम्मीद की जानी चाहिए कि प्रधान मंत्री के इस दौरे को कांग्रेस पॉजिटिव नजरिए से आकलन करेगी। क्योंकि यहां कि अर्थ व्यवस्था बेहद लचर है। इसको मजबूत करना हम सभी की जिम्मेदारी है।