“इंटरनेशनल वुमन आइकॉन ऑफ द इयर अवार्ड 2022-23” हुआ डॉ. कंचन नेगी के नाम

देहरादून। पंजाब में आयोजित “इंटरनेशनल आइकन अवार्ड्स 2022-2023” (International Icon Awards 2022-2023) के अंतर्गत इंटरनेशनल वुमन आइकॉन ऑफ द इयर अवार्ड 2022-23” – उत्तराखंड की बेटी डॉ. कंचन नेगी( Dr. Kanchan Negi) के नाम हुआ जिसे प्राप्त कर वे बेहद प्रफुल्लित हैं।

डॉ. कंचन नेगी ने यह अवार्ड ऑनलाइन’ माध्यम से स्वीकार किया. यह अवार्ड उन्हें, बतौर उत्कृष्ट अन्तराष्ट्रीय स्तर की शिक्षाविद, मोटिवेशनल स्पीकर, कम्युनिकेशन एंड मीडिया एक्सपर्ट के लिए,  जेओर्जी, फाउंडर चेयरमैन एंड काउंसिल डायरेक्टर जी.सी.सी.आर, निदेशक के.के.पी, कोडजेम के द्वारा दिया गया।
बता दें , डॉ. कंचन नेगी, अपनी कर्मठता से, मेहनत से उतराखंड राज्य में ही नहीं बल्कि अन्य कई राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के साथ- साथ, विदेशों में भी काफी ख्याति प्राप्त हैं।

कई विदेशी स्कूलों एवं यूनिवर्सिटीज़ में पढ़ाने के साथ-साथ एक एक्सपर्ट के रूप में डॉ. कंचन नेगी भारत सरकार ( Indian government) एवं राज्य सरकार के कई विभागों के कार्यक्रम आयोजित एवं संचालित भी करती हैं। उनका मानना है कि लगातार परिश्रम, सच्चाई, असूलों, सकरात्मक विचारों और आदर्शों के साथ चलते हुए ही, उनके नाम आज 43 से अधिक अवार्ड हैं।
डॉ. कंचन नेगी , उत्तराखंड’ हेरिटेज मीडिया की एडिटर-इन-चीफ है, आपका बिजनेस सोल्यूशेंस की संस्थापिका हैं और सेन्गुइन वी केयर वेलफेयर सोसायटी (राष्ट्रीय स्तरीय एन.जी.ओ) की अध्यक्ष होने के साथ ही वे दूरदर्शन उत्तराखंड में, हर शनिवार रात 9 बजे प्रसारित “द कंचन नेगी शो” की निर्माता एवं निर्देशक भी हैं। उत्तराखंड के साथ-साथ , विदेशों में भी उनके इस कार्यक्रम को सराहा जाता है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य उत्तराखंड की कला, संस्कृति, साहित्य , शिक्षा , स्वास्थ्य , पर्यटन के साथ- साथ , विभिन्न क्षेत्र के प्रख्यात शख्सियतों को आम जन से रूबरू कराना है।
सफलता के बारे में वे कहती हैं कि समय बेहद बलवान होता है और जो समय की कद्र करता है, समय उसकी कद्र करता है। डॉ. नेगी खुद भी एक प्रख्यात मोटिवेशनल स्पीकर हैं , वे कहती हैं कि समय के साथ चलने वाला ही सफलता प्राप्त करता है पर जब भी समय विपरीत चल रहा हो तो बस इन पंक्तियों से प्रेरणा लेनी चाहिए “टूटने लगे हौसले , तो ये याद रखना, बिना मेहनत की तख्तो ताज नहीं मिलते, ढूंढ लेते हैं, अंधेरों में मंजिल अपनी, जुगुनू किसी रौशनी के मोहताज नहीं होते।

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