आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई तेज

  • एनआईए ने की गुरपतवंत सिंह पन्नू की संपत्ति जब्त 
  • कनाडा से भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता है पन्नू 

सुमित्रा, चंडीगढ़। 

कनाडा और भारत के बीच बढ़ते तनाव के बाद विदेशों में बैठे आतंकियों (Terrorists) के खिलाफ कार्रवाई तेज हो गई है। प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस के नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू (Gurpatwant Singh Pannu) की संपत्ति जब्त कर ली गई है। एनआईए ने कनाडा में बैठे पन्नू की चंडीगढ़ के सेक्टर-15 में स्थित कोठी को सील कर दिया है। कोठी के बाहर एनआईए की टीम ने एक नोटिस भी चिपका दिया है। साथ ही अमृतसर में पन्नू की कोठी और खानकोट गांव में उसकी कृषि योग्य जमीन को जब्त कर लिया गया है।

जब्त की गई संपत्ति से अब पन्नू का मालिकाना हक खत्म हो गया है। यह संपत्ति अब सरकार की हो गई है। पन्नू इस समय अमेरिका का नागरिक है, लेकिन कनाडा में रह रहा है। कनाडा से ही वह भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता रहता है। अपने वीडियो जारी कर वह केंद्र सरकार के खिलाफ जहर लगातार उगलता रहा है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से ही पन्नू सिख फॉर जस्टिस नाम का संगठन चला रहा है, इस संगठन को वर्ष 2019 में ही भारत ने बैन कर दिया था।

पन्नू के अलावा मोहाली स्थित की स्पेशल अदालत ने आतंकियों की संपत्ति सील करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। अदालत ने हरदीप सिंह निज्जर के परिवार के सदस्यों को संपत्ति जब्त करने के लिए नोटिस जारी किया था और इस संबंध में उनके परिवार से किसी को अदालत में पेश होने के लिए कहा गया था। इसके लिए 11 सितंबर की तारीख तय की गई थी।

निज्जर खालिस्तान टाइगर फोर्स का प्रमुख था। जालंधर जिले में फिल्लौर सब डिवीजन के भारसिंह पुरा गांव निज्जर की 11 कनाल 13 मरले से ज्यादा जमीन अब जब्त कर ली गई है। एनआईए ने निज्जर की कोठी के बाहर संपत्ति सील करने संबंधी नोटिस भी चिपकाया है। निज्जर की कनाडा में जून महीने में गोलियां मार कर हत्या कर दी गई थी। 

खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर (Pro-Khalistan activist Hardeep Singh Nijjar)फरवरी, 1997 में फर्जी पासपोर्ट पर कनाडा पहुंचा था, लेकिन मौत से पहले निज्जर इतना ताकतवर हो चुका था कि कनाडा की खुफिया एजेंसियों के अधिकारियों तक से उसकी मुलाकात होती थी। ये राज खुद उसके बेटे ने खोले हैं। कनाडा में निज्जर के बेटे बलराज सिंह का कहना है कि उसके पिता कनाडा सुरक्षा खुफिया सेवा के अधिकारियों के साथ सप्ताह में एक या दो बार मिलते थे। 18 जून को हत्या से एक या दो दिन पहले भी वह उनसे मिले थे।

मौत के दो दिन बाद एक और बैठक होनी थी। ये बैठकें फरवरी से होनी शुरू हुईं और फिर आने वाले समय में बढ़ती रही। अब सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर भारत ( India )के खिलाफ अभियान चलाने वाले एक शख्स से कनाडा की खुफिया एजेंसी क्यों मिल रही थी? हालांकि, बलराज सिंह ने बताया कि एक मीटिंग में वह मौजूद था, जिसमें बताया गया कि निज्जर की जान को खतरा है। उनके पिता को घर पर रहने को कहा गया था।

निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा सरकार (Government of Canada)मानती रही है कि इसमें भारत का हाथ है। इसी को लेकर कनाडा और भारत के संबंधों में तनाव पैदा हुआ है। रिपोर्ट आ रही हैं कि अलगाववादी संगठनों ने भी अब एकजुट होना शुरू कर दिया है। कनाडा में पहले से ही कई संगठन पंजाब में अशांति फैलाने और टारगेट किलिंग को बढ़ावा देने में लगे हुए थे।

दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने के बाद उन्होंने अपनी सक्रियता और बढ़ा दी है। कनाडा सरकार की शह पर खालिस्तानी और इस्लामिक आतंकी संगठन एक साथ आ रहे हैं। कश्मीर और अफगानिस्तान में सक्रिय पाकिस्तान समर्थक आतंकवादी संगठनों ने प्रतिबंधित सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के मुखिया गुरपतवंत सिंह पन्नू से हाथ मिला लिया है। पन्नू की ओर से कनाडा में रह रहे हिंदुओं को वहां से जाने की धमकी दिए जाने के बाद से इस्लामिक आतंकियों ने खालिस्तानियों के साथ निकटता बढ़ानी शुरू कर दी है। ऐसे में हिंदुओं और अन्य भारतीयों के लिए खतरा बढ़ गया है।

फर्जी पासपोर्ट के आधार पर निज्जर विदेश भाग गया था। 1995 में पंजाब पुलिस ने निज्जर को गिरफ्तार कर लिया था। जेल से आने के बाद उसने रवि शर्मा के नाम से फर्जी पासपोर्ट तैयार करवाया और कनाडा चला गया।

निज्जर ने कनाडा में भारत सरकार के उत्पीड़न का दावा करते हुए शरण मांगी थी।  कनाडा सरकार को दिए हलफनामे में उसने दावा किया था कि पंजाब पुलिस ने उसे गंभीर यातना दी हैं और उसके परिवार के सदस्यों को गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया है। कनाडा के इमिग्रेशन रिकॉर्ड से पता चलता है कि उसका पासपोर्ट नकली था। कनाडा की सरकार भी उस समय निज्जर की बातों से संतुष्ट नहीं थी। उसकी फाइल करीब चार साल तक खुली रही। बाद में निज्जर ने वहां टिकने के लिए कनाडा की एक नागरिक से शादी कर ली।

पंजाब में लक्षित हत्याओं सहित कई आतंकी-संबंधी घटनाओं को निज्जर ने अंजाम दिया था. फरवरी, 2018 में पंजाब के तत्कालीन सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो को सौंपी गई मोस्ट-वांटेड सूची में उसका नाम शामिल था। जनवरी, 2019 में उसे सरे के गुरु नानक सिख गुरुद्वारा के प्रमुख के तौर पर निर्विरोध चुना गया था। इस गुरुद्वारा की संगत संख्या कनाडा में सबसे बड़ी है।

निज्जर के खालिस्तान टाइगर फोर्स के पूर्व चीफ जगतार सिंह तारा से भी अच्छे संबंध थे।  उस समय बीकेआई को सुखदेव सिंह बब्बर लीड कर रहा था।  निज्जर और तारा काफी समय तक साथ रहे और खालिस्तानी मूवमेंट को हवा देते रहे। एक खुफिया अधिकारी ने बताया कि निज्जर और तारा की दोस्ती का खुलासा 2014 में हुआ, जब तारा से मिलने के लिए निज्जर थाईलैंड पहुंच गया।

उसने कुछ फंडिंग भी की थी।  तारा पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह की हत्या में शामिल था।  तारा के कहने पर निज्जर पाकिस्तान खुफिया एजेंसी के अधिकारियों से मिलने पाकिस्तान गया था।  पूरा प्लान तारा को थाईलैंड से निकालना था।  हालांकि, वह भाग नहीं सका और पटाया में भारतीय खुफिया एजेंसियों ने उसे घेर लिया और फिर 2015 में उसे भारत लाया गया था।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के खालिस्तानियों के साथ ही पाकिस्तान के प्रति नरम रुख ने इस्लामिक आतंकी संगठनों का भी हौसला बढ़ा दिया है। ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या के लिए भारत सरकार को बिना सबूत दोषी ठहरा दिया है। वहीं, पाकिस्तान में आजादी के लिए अभियान चला रहे बलूचिस्तान की महिला नेता करीमा बलोच की कनाडा में हत्या को खुदकुशी करार देकर न सिर्फ मामला रफा-दफा कर दिया, बल्कि पाकिस्तान सरकार के खिलाफ एक भी शब्द नहीं कहा।  

निज्जर के बाद पंजाब के कुख्यात गैंगस्टर सुक्खू दुनेके की भी कनाडा में गोली मार कर हत्या कर दी गई है। सुखदोल सिंह उर्फ सुक्खा दुनेके को कनाडा के विनिपेग में गोली मारी गई है। सुक्खा को तीन से ज्यादा गोली लगी हैं, जिससे उसकी मौत हो गई है। कनाडा पुलिस इस मामले की जांच में जुट गई है। गैंगस्टर सुक्खा पंजाब में कई आपराधिक वारदातों में शामिल रहा है।  सुक्खा का नाम कबड्डी खिलाड़ी संदीप नंगल हत्याकांड में भी सामने आया था। सुक्खू ने नंगल की हत्या के लिए कनाडा में बैठ कर ही शूटरों का इंतजाम किया था। कनाडा सरकार निज्जर हत्याकांड को लेकर भारत सरकार पर सवाल उठाती रही है।

पंजाबी छात्र चिंतित 

पंजाब के 36 हजार विद्यार्थी कनाडा में दाखिला ले चुके हैं। इनमें 70 फीसदी विद्यार्थियों का वीजा आ चुका है, लेकिन कनाडा व भारत के बीच बिगड़ते रिश्तों से विद्यार्थियों में चिंता बढ़ गई है और उनकी नींद उड़ी हुई है। चिंता इस बात की है कि अगर रिश्ते और बिगड़ गए तो बच्चों का क्या होगा? उनका साल खराब तो नहीं हो जाएगा? मौजूदा समय में कुल 2,09,930 भारतीय छात्र कॉलेजों में पढ़ रहे हैं, जबकि 80,270 विश्वविद्यालय में पढ़ रहे हैं। कनाडा कॉलेजों को डिप्लोमा देने वाले संस्थानों के रूप में परिभाषित करता है, जबकि विश्वविद्यालय स्नातक, मास्टर और डॉक्टरेट डिग्री देते हैं।

नागरिकता व इमिग्रेशन पर स्थायी समिति व इमिग्रेशन और शरणार्थी बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार यह छात्र कनाडा की अर्थव्यवस्था में प्रति वर्ष 22.3 बिलियन कनाडाई डॉलर से अधिक योगदान देते हैं। बढ़ते राजनयिक संकट से कनाडा की शिक्षा प्रणाली पर प्रभाव पड़ने की संभावना है, जो उच्च शिक्षा के लिए कनाडा में रहने वाले भारतीय छात्रों पर बहुत अधिक निर्भर है। भारतीय छात्र कनाडाई छात्रों की तुलना में दोगुना योगदान देते हैं और कॉलेज प्रणाली के लिए ओंटारियो सरकार की फंडिंग से थोड़ा अधिक योगदान देते हैं। पिछले कुछ सालों में, कनाडा में वैध अध्ययन वीजा के साथ देश में रहने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। कनाडा में जनवरी सेशन में जाने वाले छात्रों का कहना है कि अगले साल जनवरी से क्लास शुरू होनी हैं, छात्रों का दाखिला भी कनाडा में हो चुका है। अचानक कनाडा व भारत के बीच  बिगड़े रिश्तों से उनके परिवार के सदस्य काफी तनाव में हैं।

 68 हजार करोड़ फीस

कनाडा में अपने बच्चों की शिक्षा पर पंजाबी छात्रों के परिजन हर साल करीब 68,000 करोड़ रुपए फीस के रूप में भरते हैं। पिछले साल शरणार्थी और नागरिकता के तहत कनाडा की ओर से कुल 226,450 वीजा स्वीकृत किए गए थे, इनमें लगभग 1.36 लाख छात्र पंजाब से थे। यह छात्र औसतन दो से तीन साल की अवधि वाले विभिन्न पाठ्यक्रम कर रहे हैं। उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर, कनाडा में प्रवास करने वाले लगभग 60 प्रतिशत भारतीय पंजाबी हैं, जिनमें अनुमानित 1.36 लाख छात्र है।

सच तो यह है कि दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर भारत की ओर से कनाडा को भारतीयों के लिए असुरक्षित देश घोषित किए जाने के बाद युवाओं का रुझान अब कनाडा की जगह यूके, आॅस्ट्रेलिया और डेनमार्क की तरफ बढ़ने लगा है। पहले महीने में अगर 50 युवा विदेश जाने के लिए फाइल लगाते थे तो उनमें 40 से 43 युवक कनाडा को पहल देते थे। वर्क परमिट और स्टडी वीजा के लिए कनाडा की ही ज्यादा मांग की जाती थी. दूसरे नंबर पर अरब देशों में वर्क परमिट की मांग होती थी। अब 55 प्रतिशत छात्रों की ओर से यूके व आॅस्ट्रेलिया में स्टडी वीजा की फाइलें  लगनी शुरू हो गई है। अरब देशों में भी वर्क वीजा की फाइलों की संख्या बढ़नी शुरू हो गई है।

बहरहाल, कनाडा में पढ़ाई के लिए फीस भर चुके छात्रों के अभिभावकों को दोनों देशों के बीच तनाव खत्म होने का इंतजार है। उन्हें लगता है कि आने वाले चुनावों के मद्देनजर शायद जस्टिन ट्रुडो कनाडा में पंजाबी समुदाय को नाराज नहीं करना चाहते हैं, इसीलिए निज्जर की हत्या के मामले में उन्होंने सार्वजनिक रूप से भारत को घसीट लिया है। उन्हें इस पर भारत की तरफ से इतनी सख्त प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं रही होगी। तनाव खत्म होगा या फिर और बढ़ेगा, यह आने वाले दिनों में ही साफ हो पाएगा।

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