जी-20 बैठक के कारण दिल्ली में कर्फ्यू जैसे हालात क्यों !

डॉ. श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट

नई दिल्लीभारत की मेजबानी से हो रही जी-20 9 (G-20) देशों की बैठक के कारण दिल्ली में स्कूल-कॉलेज के साथ साथ सभी शिक्षण संस्थान बंद रहेंगे।राज्य और केंद्र से जुड़े सरकारी (official )और गैर सरकारी कार्यालय भी बंद रहेंगे।बाहरी और भारी वाहनों का भी दिल्ली में प्रवेश नहीं होगा।सिटी बसें रिंग रोड और रिंग रोड से आगे दिल्ली (Delhi)की सीमाओं की ओर सड़क नेटवर्क पर चलेंगी और उन्हें राष्ट्रीय राजधानी से बाहर निकलने की अनुमति होगी। लेकिन नई दिल्ली क्षेत्र में सिटी बस सेवाएं उपलब्ध नहीं रहेगी।

सुप्रीम कोर्ट मेट्रो स्टेशन (Metro Station ) यात्रियों के लिए बंद रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) भी आठ सितंबर को बंद रहेगा।पैरा ग्लाइडिंग, पैरा-मोटर्स, हैंग-ग्लाइडर्स, माइक्रोलाइट एयरक्रॉफ्ट पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।हॉट एयर बैलून्स के साथ ही एयरक्रॉफ्ट से पैरा जंपिंग पर भी प्रतिबंध लागू किया गया है। जी-20 देशों की बैठक के कारण 200 से अधिक ट्रेनों को रद्द किया गया है या फिर उनका रूट बदला गया है।नई दिल्ली जिले में सभी बैंक , व्यावसायिक प्रतिष्ठान , रेस्तरां  और शॉपिंग मॉल्स  बंद रहेंगे ।

यहां बाहरी वाहनों की आवाजाही भी बंद रहेगी।डीटीसी, क्लस्टर, भारी वाहनों और निजी बसों का संचालन पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा । केवल एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन जाने वालों को अनुमति मिलेगी, लेकिन उन्हें सम्बंधित यात्रा का टिकट दिखाना पड़ेगा। साथ ही ट्रैफिक पुलिस ने उन्हें नई दिल्ली से बचकर जाने की सलाह दी है।नई दिल्ली और एनडीएमसी क्षेत्र में 8 से 10 सितंबर तक आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी प्रकार की दुकानें और रेस्त्रां बंद रखे गए है। लोगों को ऑनलाइन खाना मंगवाने की सेवा और अन्य किसी भी प्रकार की ऑनलाइन डिलीवरी सेवा नहीं मिल पाएगी।

यानि 8,9,10 सितंबर दिल्ली के लोगो और दिल्ली जाने की चाह रखने वालों के लिए मुसीबत भरे है।क्या जी-20 देशों की बैठक या किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष के आने पर भारत को छोड़कर किसी अन्य देश मे भी इस तरह की पाबंदी लगती है।आखिर देश को दिल्ली या फिर बाहर से आने वाले अपने ही नागरिकों से क्या खतरा है?ओर अगर खतरा है भी तो हमारी सुरक्षा व्यवस्था इतनी कमजोर क्यो है ,जो लोगो की आवाजाही रोककर 3 दिनों तक कर्फ्यू जैसे हालात पैदा करने पड़ रहे है।

जिस सरकार या नेताओं को जनता चुनती है,उसी जनता से इतनी दूरी क्यो?यह विचारणीय विषय है।इस बैठक के मूल में बात करे तो जी-20 के देशों का पूरी दुनिया में 85 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद यानि जीडीपी पर नियंत्रण हैं। साथ ही वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और विश्व जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई का प्रतिनिधित्व जी-20 देश करते हैं।

जी-20 देशों के समूह में 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल है। अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, कोरिया गणरज्य, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, यूके, अमेरिका एवं यूरोपीय संघ सदस्य है। भारत की ओर से जी-20 बैठक के लिए कुछ अन्य देशों को भी आमंत्रित किया गया है।जिनमे बांग्लादेश, मिस्त्र, मॉरीशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान सिंगापुर, स्पेन एवं संयुक्त अरब अमीरात प्रमुख हैं।इस बैठक के कारण दिल्ली में 8 से 10 सितंबर तक सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। क्योंकि जी-20 के दौरान लगभग 40 देशों के राष्ट्राध्यक्ष व अन्य कई देशों के प्रतिनिधि भी बैठक में पहुंचेंगे।

इसी बैठक के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बायडन आ रहे है,जबकि चीन व रूस के राष्ट्रपति नही आ रहे है।राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात कर स्वयं के जी-20 में शामिल नहीं होने की जानकारी दे दी थी।  जी-20 में रूस का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव कर रहे है।चीन राष्ट्रपति जिनपिंग की जगह चीन के प्रधानमंत्री ली क्यांग सम्मेलन में शामिल हो रहे है। बहरहाल जी-20 की मेजबानी भारत के लिए गौरव की बात है लेकिन बैठक की व्यवस्थाओं के नाम पर 3 दिनों तक दिल्ली ही बंद कर देना और सैकड़ो ट्रेनों को रद्द करके आमजनता को परेशानी में डालना कदापि उचित नही है।

 

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