देहरादून। उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में अतिक्रमण पर उच्च न्यायालय नैनीताल के आदेशों के नाम पर छोटे व्यवसायियों व स्वरोजगार कर रहे बेरोजगारों को उजाड़ने तथा बेरोजगारों पर लाठियां भांजने पर उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस की पूर्व प्रवक्ता डाॅ. प्रतिमा सिंह ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि भाजपा सरकार का गरीब विरोधी, बेरोजगार विरोधी (Anti-unemployed) व पहाड़ विरोधी (Anti-mountain) चेहरा बेनकाब हो चुका है। जिस भाजपा सरकार (BJP government) ने न्यायालय के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए राज्य के ग्रामीण इलाकों में घर-घर तक शराब पहुंचाने के लिए सड़कों के नामकरण में बदलाव किया हो वही भाजपा आज अपनी सरकारों की नाकामी के चलते बेरोजगार हो चुके पहाड के नौजवान जो अपनी मेहनत से रोजी-रोटी कमाने का काम कर रहे हैं, को एक बार फिर से बेरोजगार करने की साजिश कर रही है।
डाॅ. प्रतिमा सिंह (Dr. Pratima Singh ) ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र में सड़कों के किनारे छोटे-छोटे व्यवसायियो से यातायात बाधित होने जैसी कोई बात नहीं है फिर भी भाजपा सरकार (BJP government )ने अपनी पहाड़ विरोधी मानसिकता का परिचय देते हुए लोगों के रोजगार पर बुल्डोजर चलाकर साबित कर दिया है कि उसे आम आदमी के दुःख-दर्द से कोई सरोकार नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य का बेरोजगार नौजवान इस बात से आशान्वित था कि उन्होंने राज्य में भारतीय जनता पार्टी की प्रचण्ड बहुमत वाली सरकार बनाई है तो यह सरकार उनके बेरोजगारी के मुद्दे का हल निकाल कर यहां के नौजवानों को रोजगार मुहैया कराकर पलायन को रोकने में भी सफल साबित होगी।
राज्य सरकार द्वारा पर्वतीय जनपदों से पलायन रोकने के लिए नाम मात्र के लिए पलायन आयोग का भी गठन किया गया परन्तु पलायन आयोग युवाओं का पलायन रोकने में तो सफल नहीं हो पाया, अपितु खुद ही पलायन कर गया। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के उपरान्त उत्तराखण्ड के नौजवान बडी संख्या मे अपने गांव लौट कर आये। इन नौजवानों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रयास करने की बजाय भाजपा की राज्य सरकार न्यायालय के आदेश की आढ़ में उन्हें पुनः पलायन के लिए मजबूर करने पर तुली हुई है।