मणिपुर हिंसा मामले में हाईकोर्ट के नामित न्यायाधीश करेंगे सुनवाई

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने मणिपुर हिंसा मामले में निष्पक्ष सुनवाई के मद्देनजर पीड़ितों और गवाह की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा की जा रही 21 मामलों की जांच असम में नामित न्यायाधीशों के एक समूह को स्थानांतरित का शुक्रवार को आदेश दिया। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल दहलाने वाली मणिपुर हिंसक घटनाओं बाद दायर की गई याचिकाओं की सुनवाई के बाद अंतरिम आदेश पारित किया।

पीठ ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय से अनुरोध है किया है कि ऐसे न्यायाधीशों का चयन किया जाए जो मणिपुर में प्रचलित एक से अधिक भाषाओं में पारंगत हों। साथ ही, यह भी निर्देश दिया कि मणिपुर में जहां नामित स्थानीय मजिस्ट्रेट स्थित हैं, वहां इंटरनेट कनेक्टिविटी सुनिश्चित की जाए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पीठ (Solicitor General Tushar Mehta bench) के समक्ष कहा कि हम मणिपुर में इंटरनेट कनेक्टिविटी का ध्यान रखेंगे और इसे राज्य में बहाल किया जाएगा। अदालत ने सॉलिसिटर जनरल की इन दलीलों को भी रिकॉर्ड में लिया। शीर्ष अदालत इस मामले में अगली सुनवाई एक सितंबर को करेगी।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने पीठ की अध्यक्षता करते हुए कहा, मौजूदा चरण में मणिपुर में समग्र माहौल को ध्यान में रखते हुए और आपराधिक न्याय प्रशासन की निष्पक्ष प्रक्रिया सुनिश्चित करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए हम गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से एक या अधिक न्यायिक अधिकारियों को नामित करने का अनुरोध करते हैं। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि आरोपी की पेशी, रिमांड, न्यायिक हिरासत, हिरासत की अवधि में विस्तार और जांच के संबंध में अन्य कार्यवाहियों के सभी आवेदनों को दूरी और सुरक्षा मुद्दों को ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन मोड में आयोजित करने की अनुमति दी जाती है।

पीठ ने यह भी कहा है कि जब भी न्यायिक हिरासत की स्थिति आती है तो वह आने जाने से बचने के लिए मणिपुर में दी जाएगी। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, मणिपुर उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) इस उद्देश्य के लिए एक या अधिक मजिस्ट्रेटों को नामित करेंगे। टेस्ट आइडेंटिफिकेशन परेड (TIP) को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश द्वारा नामित स्थानीय मजिस्ट्रेटों की उपस्थिति में करने की अनुमति है। शीर्ष अदालत के आदेश में कहा गया है कि गिरफ्तारी की मांग करने वाले आवेदन को ऑनलाइन करने की अनुमति दी जाएगी।

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