नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने नौकरशाह अरुण गोयल (Arun Goel) की चुनाव आयुक्त के तौर पर नियुक्ति को चुनौती देने वाली एक याचिका शुक्रवार को खारिज (dismissed )कर दी। न्यायालय ने कहा कि शीर्ष अदालत की संवैधानिक पीठ इस पर गौर करके दो मार्च को अपना फैसला सुना चुकी है।
न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायाधीश एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) केएम जोसेफ की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने गोयल की नियुक्ति की फाइल को देखा और कुछ टिप्पणियां भी कीं, लेकिन इसे निरस्त करने से इनकार किया था। पीठ ने गैर सरकारी संगठन असोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से दाखिल याचिका को खारिज कर दिया।
एनजीओ की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि गोयल की मनमाने तरीके से नियुक्ति की गई है और इसमें तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी दलील में कहा कि एनजीओ को इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती, क्योंकि संवैधानिक पीठ ने नियुक्ति की फाइल देख ली है, लेकिन इसने निरस्त करने से इनकार कर दिया।
उच्चतम न्यायालय ने 2 मार्च को मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को कार्यपालिका के हस्तक्षेप से बचाने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा था कि उनकी नियुक्तियां प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) की एक समिति की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएंगी ताकि चुनाव प्रक्रिया की शुचिता कायम रह सके।
शीर्ष अदालत ने पूर्व नौकरशाह अरुण गोयल को चुनाव आयुक्त नियुक्त करने में केंद्र द्वारा दिखाई गई जल्दबाजी पर सवाल उठाते हुए कहा था कि उनकी फाइल को 24 घंटे में विभिन्न विभागों द्वारा तीव्र गति से मंजूरी दी गयी थी। पंजाब कैडर के आईएएस अधिकारी गोयल को 19 नवंबर को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था।