नयी दिल्ली। इसरो और भारतीय नौसेना ने ‘मिशन गगनयान’ के लिए विशाखापत्तनम हार्बर में मानव अंतरिक्ष मिशन क्रू मॉड्यूल रिकवरी और लिफ्टिंग परीक्षण पूरे कर लिए हैं। इसरो ने यह परीक्षण विशाखापत्तनम स्थित पूर्वी नौसेना कमान में भारतीय नौसेना के एक जहाज पर किये हैं।
भारत का लक्ष्य 2025 तक 400 किमी ऊपर अंतरिक्ष यात्री भेजने का है. ‘मिशन गगनयान’ की क्रू रिकवरी टीम के पहले बैच को कोच्चि में नौसेना की जल जीवन रक्षा प्रशिक्षण सुविधा (डब्ल्यूएसटीएफ) में पहले चरण का परीक्षण दिया गया है।
विशाखापत्तनम के नौसेना डॉकयार्ड में बंदरगाह परीक्षणों की शुरुआत के साथ गगनयान मिशन का रिकवरी परीक्षण संचालन दूसरे चरण में प्रवेश कर गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और भारतीय नौसेना ने संयुक्त रूप से 20 जुलाई को परीक्षण वाहन के पहले विकास मिशन के दौरान पुनर्प्राप्ति कार्यों के लिए पहचाने गए जहाज के साथ परीक्षण किया। विशाखापत्तनम स्थित पूर्वी नौसेना कमान में इसरो और भारतीय नौसेना ने गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिए क्रू मॉड्यूल मॉकअप का उपयोग करके बंदरगाह पुनर्प्राप्ति परीक्षण आयोजित किए। यह प्रशिक्षित टीम अब आने वाले महीनों में इसरो के ‘मिशन गगनयान’ की लॉन्चिंग टीम में शामिल होगी।
इसरो के मुख्यालय की तरफ से जारी बयान में कहा कि यह मॉकअप परीक्षण प्रक्रिया में इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे रिकवरी प्रक्रियाएं स्थितियों का सटीक अनुकरण करती हैं। बयान में यह भी कहा गया कि परीक्षणों के दौरान पुनर्प्राप्ति के विभिन्न चरणों का अनुकरण किया गया था, जिसमें जहाज के डेक पर क्रू मॉड्यूल को खींचना, संभालना और उठाना शामिल था. इसरो के अनुसार गगनयान परियोजना में तीन सदस्यों के एक दल को तीन दिवसीय मिशन के लिए 400 किमी की कक्षा में लॉन्च करके और भारतीय समुद्री जल में उतरकर उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाकर मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करने की परिकल्पना की गई है।
इसरो के ‘मिशन गगनयान’ की क्रू रिकवरी टीम के पहले बैच को कोच्चि में नौसेना की जल जीवन रक्षा प्रशिक्षण सुविधा (डब्ल्यूएसटीएफ) में पहले चरण का प्रशिक्षण दिया गया है। नौसेना के गोताखोरों और समुद्री कमांडो की एक टीम ने विभिन्न समुद्री परिस्थितियों में क्रू मॉड्यूल को प्रशिक्षित किया। कोच्चि स्थित डब्ल्यूएसटीएफ भारतीय नौसेना की एक जल जीवन रक्षा परीक्षण सुविधा है, जहां विमान चालक दल को कई दुर्घटना परिदृश्यों और मौसम की स्थिति के तहत फंसी हुई उड़ान से बचने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। दो सप्ताह के प्रशिक्षण कैप्सूल में मिशन के संचालन, चिकित्सा आवश्यकताओं के दौरान की जाने वाली कार्रवाइयों और विभिन्न विमानों और उनके बचाव उपकरणों से परिचित होने के बारे में जानकारी दी गई।