नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी ने पिछले 9 वर्षों में लगभग 60 बार पूर्वोत्तर क्षेत्र का दौरा किया है, जो उनके सभी पूर्ववर्तियों की कुल यात्राओं से अधिक हो सकता है। इसका परिणाम क्षेत्र में चमत्कारी परिवर्तन है और पूर्वोत्तर को हर स्थान पर मोदी सरकार के विकास मॉडल के रूप में उद्धृत किया जा रहा है।’
यह बात आज गुवाहाटी में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमन्त्री कार्यालय, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी), पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने पूर्वोत्तर में अविश्वसनीय परिवर्तन को प्रदर्शित करने वाले “पूर्वोदय” कॉन्क्लेव का उद्घाटन करते हुए कही।
नौ साल पहले पूर्वोत्तर क्षेत्र विद्रोह, संघर्ष आदि गलत कारणों से खबरों में था, युवा भ्रमित और परेशान थे।अब प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की पहल से स्थिति में अहम बदलाव आया है, पूर्वोत्तर के युवा अब भारत की मुख्यधारा की यात्रा का हिस्सा हैं।”
प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी पिछले 9 वर्षों में लगभग 60 से अधिक बार पूर्वोत्तर क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं, जबकि उनके मंत्रिपरिषद ने भी 400 से अधिक बार पूर्वोत्तर का दौरा किया है और यदि कोविड नहीं होता तो शायद प्रधानमंत्री 100 बार दौरा कर चुके होते।
मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले आठ वर्षों के दौरान, 2014 से 2022 तक, पूर्वोत्तर राज्यों में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (डोनर) – डीओएनईआर) मंत्रालय और पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) की योजनाओं के अंतर्गत 15,867 करोड़ रुपये की 1,350 परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं। सशस्त्र बल विशेष सुरक्षा अधिनियम (एएफएसपीए) को त्रिपुरा और मेघालय से पूरी तरह हटा दिया गया है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की स्थिति में काफी सुधार हुआ है क्योंकि यूपीए शासन के 2006-14 की अवधि के दौरान सामने आए 8700 मामलों की तुलना में 2014-22 की अवधि के दौरान एनडीए के नेतृत्व वाली भारत सरकार में 63 प्रतिशत की कमी आई है और ये केवल 3,195 मामले रह गए हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए कुल 5892.00 रूपये करोड़ का बजट अनुमान (बीई) आवंटन किया गया है, जो 2022-23 के 2755.05 करोड़ रूपये के संशोधित अनुमान (आरई) के आवंटन से 114 प्रतिशत और 2014-15 के 1825.5 करोड़ रूपये के संशोधित अनुमान (आरई) आवंटन से 223 प्रतिशत अधिक है। केंद्रीय बजट 2023- 24 के अनुसार इस क्षेत्र के लिए 10 प्रतिशत सकल बजटीय सहायता (जीबीएस) का अंश (बीई) बढ़ाकर 94,679.53 करोड़ रूपये कर दिया गया है जो 2022-23 के संशोधित अनुमान (आरई) के 72,540.28 करोड़ रूपये के आवंटन से 31 प्रतिशत अधिक और 2014-15 के 27,359.17 करोड़ रूपये के संशोधित अनुमान (आरई) आवंटन से 246 प्रतिशत अधिक है।