छात्रों पर लटकी निर्वासन की तलवार!

  • मान सरकार की पहल पर 700 छात्रों को मिलेगा अपना पक्ष रखने का मौका
  • केंद्र के दबाव के बाद कनाडा में पंजाब मूल के सांसद व मंत्री भी छात्रों के पक्ष में आए

सुमित्रा

चंडीगढ़।विदेशों में पढ़ने की इच्छा रखने वाले छात्रों को अब और ज्यादा सतर्कता बरतनी होगी। ऐसा इसलिए कि कनाडा में पढ़ने गए पंजाब के छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ता दिख रहा है? आस्ट्रेलिया में भी पंजाब से गए छात्रों को परेशानियां आ सकती हैं।

भगवंत मान सरकार हालात को समझते हुए केंद्र सरकार से इन छात्रों का भविष्य बचाने की गुहार लगाने को मजबूर हो गई है। इस मामले में छात्रों को कोई राहत मिल पाएगी, यह अभी साफ होना है। हां, मान सरकार की भाग-दौड़ का इतना फायदा जरूर मिला है कि कनाडा से निर्वासन का सामना कर रहे 700 भारतीय छात्रों को अब अपना पक्ष रखने का मौका मिल जाएगा।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने संसद में कहा है कि वह मामले का मूल्यांकन करेंगे। धोखाधड़ी के शिकार छात्रों को अपना पक्ष रखने का अवसर भी देंगे। अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के मामले से ट्रुडो अच्छे से वाकिफ हैं।

पंजाब के इन पीड़ित छात्रों के हालात के बारे में सिख मूल के एनडीपी (न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी) नेता जगजीत सिंह ने सबसे पहले सवाल उठाये थे। जगजीत सिंह के सवालों के जवाब में ही ट्रुडो ने कहा था कि पीड़ितों को अपना पक्ष और सबूत पेश करने का पूरा मौका दिया जाएगा। पीड़ित छात्रों का मामला पेश करते हुए ट्रूडो से पूछा गया था कि क्या प्रधानमंत्री प्रभावित होने वाले इन सभी विद्यार्थियों के निर्वासन पर रोक लगाएंगे? क्या इनके लिए स्थायी निवास का कोई मार्ग प्रशस्त किया जाएगा? एनडीपी इन छात्रों के डिपोर्ट के आदेश को रद्द कराने की कोशिशों में लगी है। इन छात्रों के भविष्य के मद्देनजर कोई न कोई रास्ता निकलेगा। इसकी उम्मीद दिखने लगी है।
इधर, मान सरकार के एनआरआई मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल भी कनाडा में फंसे छात्रों को मुफ्त कानूनी सहायता उपलब्ध करवाने के लिए आगे आए हैं। उन्होंने कनाडा के इमीग्रेशन कानूनों के माहिरों की मदद लेना तय किया है। छात्रों की मदद के लिए धालीवाल ने कनाडा के पंजाबी मूल के सभी सांसदों को चिट्ठी लिखी है।

इससे पहले उन्होंने वीडियो कॉल से पीड़ित छात्रों से बातचीत भी की थी। उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर को भी पत्र लिख कर विदेश मंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है। इस दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर कनाडा के अधिकारियों से निष्पक्ष रहने और मानवीय दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह कर चुके हैं। वे चाहते हैं कि छात्रों को दंडित करने के बजाय उन्हें गुमराह करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
धालीवाल भी यही कह रहे हैं कि धोखेबाजों के गिरोह के हाथों ठगे गए यह छात्र निर्दोष हैं। ऐसे में विदेश मंत्रालय को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कनाडा के उच्चायोग और संबंधित एजेंसियों के साथ लगातार बातचीत करते रहना चाहिए, ताकि इन्हें निर्वासित होने से बचाया जा सके। धालीवाल उन्हें वर्क परमिट देने की भी वकालत कर रहे हैं। साथ ही वे चाहते हैं कि भविष्य में अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए विदेश भेजने से पहले लोगों को कॉलेज की डिटेल और ट्रैवल एजेंटों का रिकॉर्ड जरूर चेक कर लेना चाहिए।

हालांकि, पंजाब सरकार के बाद इस मामले में केंद्र सरकार की तरफ से भी दिखाई गई सक्रियता से निर्वासन का सामना कर रहे 700 विद्यार्थियों को कुछ आशा की किरण नजर आने लगी है। पंजाब व केंद्र सरकार के दबाव के बाद कनाडा में पंजाब मूल के सांसद व मंत्री भी छात्रों के पक्ष में उतर आए हैं।
कनाडा के मंत्री सीन फ्रेजर ने स्वीकार कर लिया है कि ज्यादातर छात्र धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं। इस संबंध में अब पीड़ित छात्रों को यह साबित करने का मौका दिया जाएगा कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है।

कनाडा सरकार इस मसले का समुचित समाधान निकालना चाहती है। हाउस ऑफ कॉमन्स में फ्रेजर के छात्रों की मदद का भरोसा दिलाने के बाद लगता है, सब ठीक हो जाएगा। एनडीपी की सदस्य जेनी क्वान ने भी इस मुद्दे पर संसद में सवाल किया था। इसी के जवाब में फ्रेजर बोले, कि हम एक प्रक्रिया विकसित करने के लिए काम कर रहे हैं, ताकि धोखाधड़ी के शिकार छात्रों को कनाडा में रहने का अवसर मिले। फ्रेजर ने यह भी कहा था कि जो लोग जानबूझकर धोखाधड़ी करते हैं या धोखाधड़ी की योजना में शामिल रहे हैं, उन्हें कनाडा के कानूनों का पालन नहीं करने का परिणाम भुगतना होगा।
यह ऐसा समय है, जब पंजाब में मान सरकार को भी सोचना होगा। ऐसे बंदोबस्त करने होंगे कि भविष्य में छात्रों से किसी तरह की कोई धोखाधड़ी नहीं हो पाए। शायद हालात को देखते हुए ही मान सरकार ने पूरे राज्य में इमीग्रेशन कंपनियों की पड़ताल कराने का फैसला लिया है। इस संबंध में एक उच्चस्तरीय बैठक भी हो चुकी है। सभी जिलों के डिप्टी कमिश्नरों और एसएसपी को हिदायत दी गई हैं कि ट्रेवल एजेंटों और इमीग्रेशन एजेंसियों के कागजों की पड़ताल करके 10 जुलाई तक रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी जाए।

मामला क्या है?

कैनेडियन बॉर्डर सर्विस एजेंसी (सीबीएसए) के मुताबिक, पंजाब के 700 से अधिक भारतीय छात्रों को निर्वासन का सामना करना पड़ सकता है। शैक्षणिक संस्थान में इन छात्रों के प्रवेश प्रस्ताव पत्र फर्जी पाए गए हैं। इनमें से ज्यादातर विद्यार्थी वर्ष 2018 और 2019 में पढ़ने के लिए कनाडा गए थे।

धोखाधड़ी का पता उस वक्त लगा, जब इन छात्रों ने कनाडा में स्थायी निवास के लिए आवेदन किया। यह विद्यार्थी 29 मई से मिसिसागा के एयरपोर्ट रोड पर कैनेडियन बॉर्डर सर्विस एजेंसी(सीबीएसए) के मुख्य कार्यालय के बाहर संघर्ष कर रहे थे। वहां रह रहे पंजाबी सिंगर भी उनके समर्थन में आ गए थे। इसी बीच यह पता लगा गया कि इन छात्रों के प्रवेश प्रस्ताव पत्र ही फर्जी हैं। इसके बाद ही कनाडा बॉर्डर सर्विसेज एजेंसी (सीबीएसए) ने इन छात्रों को निर्वासन का नोटिस जारी किया था।

आस्ट्रेलिया का प्रतिबंध

पंजाबी छात्रों के कनाडा से निर्वासन का मामला अभी चल ही रहा है कि ऑस्ट्रेलिया के नामी विश्वविद्यालयों ने भी पंजाब के छात्रों के दाखिले पर प्रतिबंध लगा दिया। विक्टोरिया स्थित फेडरेशन यूनिवर्सिटी और न्यू साउथ वेल्स स्थित वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी ने पंजाब के अलावा हरियाणा, उत्तराखंड, गुजरात, उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के छात्रों को दाखिला नहीं देने का फरमान जारी कर दिया है।

विश्वविद्यालय प्रबंधन ने अपने एजुकेशन एजेंट्स को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दे दी है। इससे पहले भी पांच विश्वविद्यालयों ने ऐसा ही प्रतिबंध लगाया था। विश्वविद्यालयों का आरोप है कि आवेदक स्टूडेंट वीजा का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।

वे यहां पढ़ाई के बजाए नौकरी को अधिक महत्व दे रहे हैं। वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के अनुसार उनके यहां पर वर्ष 2022 में कई भारतीय छात्रों ने दाखिले लिए, लेकिन उन्होंने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी। जब छात्रों ने अगले सत्र की फीस जमा नहीं करवाई तो पता चला कि वे पढ़ाई से किनारा कर चुके हैं।

ऐसा करने वालों में ज्यादातर छात्र पंजाब और हरियाणा से ही थे। दरअसल, ऑस्ट्रेलिया में भारतीय मुद्रा के अनुसार न्यूनतम श्रमिक दर 1800 रुपए प्रति घंटा है। यह भी एक वजह है कि भारतीय विद्यार्थी वहां नौकरी करने लगते हैं। रोजमर्रा का खर्च निकालने के लिए भी कुछ छात्र पार्ट टाइम जॉब करते हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल करीब एक लाख भारतीय छात्र पढ़ाई के लिए ऑस्ट्रेलिया गए थे।

स्टडी एबरॉड कंसल्टेंट एसोसिएशन (साका) के चेयरमैन सुकांत त्रिवेदी के मुताबिक, कुछ भारतीय छात्रों की धोखाधड़ी का खामियाजा सभी छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। वहां लगातार फर्जी दस्तावेज लगाने या झूठी बैंक स्टेटमेंट बना कर आवेदन करने के मामले भी सामने आ रहे हैं। देखने में यह भी आया है कि छात्रों की तरफ से विश्वविद्यालयों की जरूरी शर्तों का भी उल्लंघन किया जाता है।

आवेदक इस बात पर अपनी सहमति देते हैं कि छात्र वीजा का इस्तेमाल ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने या घूमने के लिए ही करेंगे और इसके बाद वापस स्वदेश चले जाएंगे, लेकिन छात्र पढ़ाई छोड़ कर वहां काम करने लगते हैं। यही वजह है कि आस्ट्रेलिया सरकार भी इस मुद्दे पर गंभीर हो गई है।

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