- उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य के विजन को लेकर चल रही सरकार
- धामी अपने एक्शन से पार्टी के भीतर की कूटनीति और विपक्षी दलों के दांव का जवाब दे रहे
आशीष सिंह, विशेष संवाददाता।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने ही सरकार की योजनाओं को लेकर इन दिनों विशेष रूप से चर्चा में हैं। अपने विरोधियों को चित करके धामी ने यह साबित करने की कोशिश की है कि इच्छाशक्ति मजबूत हो तो कोई भी काम कठिन नहीं होता।
आज धामी के प्रबल विरोधी भी यह मानकर चल रहे हैं कि धामी ने काफी कम समय में न सिर्फ राजनीतिक रूप से अपने आप को परिपक्व और सशक्त किया है, बल्कि पार्टी के अंदर मची उठापटक को काफी हद तक शांत करने की कोशिश की है, हालांकि अब भी विरोधी सक्रिय हैं। दरअसल, धामी को दो मोर्चों पर लड़ना पड़ रहा है। एक तो विरोधी पार्टी कांग्रेस एवं दूसरा अपनों से।
अपनों का मतलब साफ है, भाजपा का वह वर्ग जो धामी को पसंद नहीं करता। लेकिन हमेषा षंत भाव से बिना बहुत कुछ बोले अपने सार्थक प्रयासों एवं जन कल्याण से जुड़ी योजनाओं को पूरे प्रदेश में क्रियान्वित करके धामी ने अपने शीर्ष नेतृत्व का भरोसा भी जीता है। यही वजह की धामी अपनी पैठ देहरादून से दिल्ली तक बनाने में काफी हद तक सफल रहे हैं।
उत्तराखंड के विकास की दिशा में सरलीकरण, समाधान, निस्तारण और जन संतुष्टि के मूल मंत्र को अपना कर समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के विकास, कल्याण और उन्नति के लिए यह सरकार न केवल संकल्पबद्ध है, बल्कि तेजी के साथ काम भी कर रही है। प्लस और माइनस हर सरकारों में देखने को मिलता है।
धामी विरोधी जो पार्टी के अंदर है, उन्हें भी सरकार की कई योजनाएं पसंद नहीं हैं लेकिन इससे कुछ नहीं होता है। जनता को जब योजनाएं पसंद आ जाए तो समझ जाइए कि सरकार की दिशा और दशा पटरी पर है।
असल में, उत्तराखंड की धामी सरकार अटूट आस्था के साथ विकास में यकीन करती है। इस खास वजह से ही धामी सरकार धीरे-धीरे पॉजिटिव सोच के साथ आगे बढ़ रही है। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास तथा सबका प्रयास इसी फार्मूले पर सरकार आगे बढ़ रही है।
सरकार ने 2025 तक उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने की दिशा में हर क्षेत्र में युद्धस्तर पर कार्य शुरू किया है। इस क्रम में ही सरकार ने कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक फैसले भी लिए हैं। खास बात यह है कि देश का सख्त नकल विरोधी कानून लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बन गया है। महिलाओं को 30 फीसद क्षैतिज आरक्षण, राज्य आंदोलनकारियों को 10 फीसद क्षैतिज आरक्षण का प्रावधान, समूह-ग की सभी परीक्षाओं में इंटरव्यू समाप्त तथा इसके अलावा समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट भी अपने अंतिम चरण में है। ये सब महत्वपूर्ण कार्य ही तो हैं जिसकी वजह से राजनीतिक विश्लेषक भी यह मान कर चल रहे हैं कि धामी सरकार प्लानिंग के तहत ही कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का मानना है कि इस दशक को उत्तराखंड का दशक बनाने के लिए सप्त किरणों से जो इंद्रधनुष बनेगा और एक ऐसे इको सिस्टम को प्रतिबिंबित करेगा जो स्वावलंबन, स्वरोजगार और रोजगार के परिवेश को मजबूती प्रदान करेगा। यूं देखा जाए तो उत्तराखंड की सरकार पूरी तरह से युवा शक्ति के प्रति समर्पित है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मुताबिक, उत्तराखंड लॉजिस्टिक नीति 2023 से पूरे प्रदेश में विकास का द्वार खुल जाएगा। इस नीति का मकसद सरलीकृत, सक्रिय और उत्तरदायी संस्था तंत्र का निर्माण करना है। कोल्ड चेन सुविधा से कृषि, बागवानी, डेयरी एवं अन्य खाद्य सामग्री की सुरक्षा होगी। मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया कि देवभूमि में ऊर्जा क्रांति की शुरुआत हो गयी है। इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा। कनेक्टिविटी और अवस्थापना विकास की दिशा में भी कार्य शुरू कर दिया गया है। इससे विश्व पटल पर उत्तराखंड की अलग पहचान भी बनेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का सपना सर्वश्रेष्ठ उत्तराखंड बनाने का है। हम इस लक्ष्य को अपने विकल्प रहित संकल्प के मंत्र के साथ पाने में अवश्य सफल होंगे।
मुख्यमंत्री का मानना है कि दूरस्थ क्षेत्रों में पेयजल संसाधनों का सरकार बेहतर उपयोग कर रही है। नागरिक उड्डयन, आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास के क्षेत्र में भी सरकार काफी बढ़िया काम कर रही है। उन्होंने कहा कि मानसखंड मंदिर माला मिशन योजना के लिए 48 प्रमुख ऐतिहासिक और पौराणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मंदिरों को चिह्नित किया गया है जिसमें प्रथम चरण में कुमाऊं-मंडल के कुल 16 मंदिरों में अवस्थापना सुविधा विकसित किया जाना प्रस्तावित है। उत्तराखंड की संस्कृति काफी उन्नत है।
सांस्कृतिक एवं धार्मिक स्थलों के सौंदर्यीकरण के लिए दी जाने वाली धनराशि 25 लाख रुपए से बढ़ा कर 50 लाख रुपए कर दी गयी है। उत्तराखंड मिलेट्स मिशन को भी सरकार ने मंजूरी प्रदान कर दी है। शिक्षा के क्षेत्र में भी सरकार काफी बढ़िया काम कर रही है। महाविद्यालयों में मादक पदार्थों के प्रचलन को रोकने के लिए नशा उन्मूलन समिति का सरकार ने गठन किया है।
सरकार का मानना है कि वन संरक्षण विकास के लिए बेहद जरूरी है।
सरकार इस दिशा में भी काफी बढ़िया काम कर रही है। अन्त्योदय के प्रति सरकार समर्पित है। खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। खेल छात्रावास के खिलाड़ियों का दैनिक भत्ता 175 रुपए से बढ़ा कर 225 रुपए प्रति छात्र किया गया है। लघु एवं सूक्ष्म उद्योग को सरकार बढ़ावा दे रही है। सरकार की पूरी कोशिश है कि उत्तराखंड से सामाजिक एवं आर्थिक असामनता की खाई कम हो। डेयरी, कृषकों का आय का बड़ा आधार बना है।
इससे किसानों को काफी लाभ पहुंच रहा है। सरकार पशुपालन के क्षेत्र में भी आय और रोजगार बढ़ाने की दिशा में काफी बढ़िया कार्य कर रही है। राजनीतिक विश्लेषकों की बात मानें तो सरकार का एक साल ‘नयी मिसाल’ बन गया है। प्रदेश में हो रहे चहुंओर विकास से विपक्ष तो धराशाई है ही, इसके अलावा पार्टी के अंदर भी खुशी की लहर है। अब खींचतान पर विराम लग गया है। मुख्यमंत्री बेधड़क अपना काम कर रहे हैं।
दरअसल, मुख्यमंत्री अपने मेहनत के बल पर ही खुद को स्थापित किया है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो शुरुआती दौर में अपने भी बेगाने हो गये थे लेकिन मुख्य मंत्री ने अपने सूझबूझ से सबको किनारे कर दिया और प्रदेश के विकास में जुट गये। उसके बाद से ही मुख्य मंत्री विकास से जुड़ी योजनाओं को अंजाम देने में जुटे हुए हैं। वैसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के समक्ष अब भी चुनौतियां कम नहीं है। बावजूद वे हर मोर्चे पर डटे हुए हैं। जो उनकी जीवटता को दर्षाता है।
मुख्यमंत्री खुद ही छोटी-बड़ी हर योजनाओं की समीक्षा करते हैं। प्रदेश में तय सीमा के अंदर ही योजनाएं पूरी की जा रही हैं। इससे स्थानीय लोगों को काफी फायदा पहुंच रहा है। यह प्रदेश अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा हुआ है। इसलिए धामी सरकार की प्लानिंग है कि गांव से पलायन हर हाल में रोका जाए। गांवों को आबाद करने का काम युद्ध स्तर पर जारी है और इसके सुखद परिणाम भी अब आने लगे हैं।
मुख्यमंत्री की सबसे बड़ी खासियत है कि वे परायों को भी अपना बनाने की कला में काफी माहिर हैं। इसी खास वजह से मुख्यमंत्री पहाड़ से मैदान तक सभी के चहेता बने हुए हैं। उनकी नजर हर छोटी-बड़ी चीजों पर है। राजनीतिक विश्लेषक भी यही मान रहे हैं कि मुख्यमंत्री की सफलता के पीछे यही सबसे बड़ा राज है।
बहरहाल, मुख्यमंत्री को और ज्यादा अलर्ट होकर काम करने की जरूरत है। ताकि विकास किसी भी हाल में बाधित नहीं हो। उत्तराखंड में पांव खींचने वालों की कमी नहीं है लेकिन जब लक्ष्य क्लीयर हो तो बाधाएं स्वतः ही नतमस्तक हो जाती हैं।