नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कोरोना महामारी और यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण अपनी मेडिकल स्रातक (एमबीबीएस) अंतिम वर्ष की परीक्षा अपने विदेशी कॉलेजों में देने में असमर्थ भारतीय विद्यार्थियों को एक बार मानवीय आधार पर राहत देते हुए परीक्षा के लिए अधिकतम दो प्रयासों के मौके की अनुमति मंगलवार को दे दी।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव को संशोधन के साथ मंजूर करते हुए यह अनुमति दी। शीर्ष अदालत के समक्ष केंद्र सरकार ने मेडिकल विद्यार्थियों के लिए सिर्फ एक प्रयास में परीक्षा देने की प्रस्ताव किया था। यूक्रेन, चीन, रूस, फिलीपींस आदि देशों में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हजारों भारतीय विद्यार्थी महामारी और फिर यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण विदेशों में स्थित आपने कॉलेज नहीं जा सके थे। ऐसे विद्यार्थियों की ओर याचिकाएं दायर की गई थीं।
याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार और नेशनल मेडिकल कमिशन से कहा था कि वे मानवीय आधार पर ऐसे विद्यार्थियों के राहत देने के लिए कोई रास्ता निकालें। केंद्र ने अदालत को बताया था कि उसने इस मामले में एक कमेटी गठित की थी। कमेटी की रिपोर्ट में विद्यार्थियों को राहत देने की सिफारिश की गई थी।
केंद्र सरकार का पक्ष रख रही अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कमेटी की सिफारिश पर आधारित केंद्र सरकार के फैसले से शीर्ष अदालत को अवगत कराया था।