तेरह सांसदों को मिला ‘संसद रत्न’ पुरस्कार

नयी दिल्ली। हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने शनिवार को कहा कि संसद में पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर चर्चा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री दत्तात्रेय ने संसदीय कार्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए सांसदों को सम्मानित करने के लिए चेन्नई के गैर सरकारी संगठन प्राइम प्वाइंट फाउंडेशन द्वारा स्थापित संसद रत्न पुरस्कार वितरण समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि वह चाहते हैं कि संसद में युवा और उच्च शिक्षित लोग आयें जिससे वहां की चर्चा और बहस का स्तर उच्च होने के साथ-साथ सारगर्भित और फलदायी हो।

समारोह में विभिन्न दलों के 13 सांसदों और तीन पूर्व सांसदों को ‘संसद रत्न’ सम्मान दिया गया। श्री दत्तात्रेय ने कहा कि राजनीति और अन्य क्षेत्रों में महिलाओं को आगे लाया जाना चाहिए। महिलायें आगे नहीं बढ़ेंगी, तो देश आगे नहीं बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि भारत की संसद दुनिया की सबसे बेहतरीन संसद है और उन्हें विश्वास है कि संसद का यह सम्मान बना रहेगा और इसका स्तर निरंतर ऊंचा होता जायेगा। श्री दत्तात्रेय के हाथों द्वारा ही अधीर रंजन चौधरी (कांग्रेस), विद्युत बरन महतो (भारतीय जनता पार्टी: भाजपा), सुधीर गुप्ता (भाजपा), अमोल राम सिंह कोल्हे (राकांपा), गोपाल चेन्नया शेट्टी (भाजपा), डॉ सुकांत मजूमदार (भाजपा), कुलदीप राय शर्मा (कांग्रेस), डॉ हीना विजयकुमार गावित (भाजपा), जयंत सिन्हा (भाजपा), डॉ विजय साई रेड्डी (वाईएसआरकांग्रेस), फौजिया तहसीन अहमद खान (राकांपा), मनोज कुमार झा (राष्ट्रीय जनता दल) और जॉन ब्रिटास (माकपा) को संसदीय कार्य की विभिन्न श्रेणियों में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए संसद रत्न पुरस्कार प्रदान किये गये। इस मौके पर पूर्व सांसद टी के रंगराजन को डॉ अबुल कलाम आजाद लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया गया।

पूर्व सांसद छाया वर्मा (कांग्रेस) और समाजवादी पार्टी के विश्वम्भर प्रसाद निषाद को संसदीय कार्यों में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए पुरस्कृत किया गया। कांग्रेस सांसद श्री चौधरी ने समारोह में कहा,‘‘ हमारी संसद की सबसे बड़ी खूबसूरती यह है कि हम वहां गर्मागर्म चर्चा और बहस करते हैं, सत्ता पक्ष और विपक्ष किसी मुद्दे पर अपनी अलग-अलग राय रखते हुए खूब नोंक-झोंक करते हैं लेकिन सदन से बाहर आते ही सदन में उपजी की कड़वाहट को भूल चुके होते हैं और दोनों पक्ष दोस्ती का हाथ बढ़ाते हैं।’’
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में लोकतांत्रिक मूल्यों का मानना सबसे जरूरी है।

जो व्यक्ति लोकतांत्रिक मूल्यों का आदर और उनका पालन नहीं करेगा, वह लोकतांत्रिक नहीं हो सकता। पुरस्कार पाने वाले सांसदों का चयन एक निर्णायक मंडल ने किया। इस पुरस्कार के नाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक लिखित संदेश में पुरस्कार समिति से जुड़े सभी व्यक्तियों को उनके भविष्य के प्रयासों की सफलता की कामना की। उन्होंने कहा,‘‘ मुझे विश्वास है कि इन पुरस्कारों से सदस्यों को अपनी सोच और बुद्धि के माध्यम से संसदीय कार्यवाही को समृद्ध करने की प्रेरणा मिलेगी।

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