रूड़की। माहे रमजान का चांद नजर आते ही रमजान की तैयारियों को लेकर जहां बाजारों में रौनक बढ़ने लगी,वहीं मस्जिदों में भी नमाजियों की तादाद में इजाफा हो गया।
मुस्लिम समाज के लोगों ने रमजान की तैयारियों को लेकर बाजारों में सेवइयां,डबल रोटी तथा अन्य खाने-पीने की जरुरी चीजों की जमकर खरीदारी की।रात्रि में रमजान शरीफ में पढ़ी जाने वाली विशेष नमाज (तरावीह) मस्जिदों में बड़ी संख्या में नमाजियों ने नमाज अदा की।रुड़की की सोत स्थित जामा मस्जिद प्रथम दिन नमाजियों से खचाखच भरी हुई थी।
मुफ्ती मोहम्मद सलीम ने तरावीह की नमाज के बाद अपने संबोधन में रमजान की अहमियत बयान करते हुए कहा कि रमजान (रोजे) का मकसद केवल भूखे वह प्यासा रहना नहीं है,बल्कि उसका असली अर्थ यह है कि हम अपने पड़ोसियों की,गरीबों की भूख और प्यास का भी ख्याल रखें,अगर आपके पड़ोस में कोई गरीब या कोई व्यक्ति भूखा है और उसके घर में भोजन नहीं है,उसका एहसास करें।उसको खाना पहुंचाएं।
रमजान के पहले अशरा में यानी रमजान के पहले दस दिन रहमत और बरकत का आसरा होता है,इसमें पूरी मानवता के लिए पूरी इंसानियत के लिए और अपने देश के लिए दुआ करें,वहीं दूसरी ओर अंतर्राष्ट्रीय शायर मंगलौरी ने दस दिवसीय विशेष तरावीह का मुख्य आयोजन किया,जिसमें गणमान्य व्यक्तियों ने तरावीह की नमाज अदा की और देश,प्रदेश तथा मानवता और सुख शांति की दुआ कराई गई।
इस अवसर पर हाफिज अब्दुल्ला ने कहा कि यह महीना इंसानियत को लाभ पहुंचाने का महीना है।अपने पड़ोसियों और अपने देशवासियों से हम प्यार और मोहब्बत रखें तथा एक दूसरे के दुख-दर्द को पहचाने।इस अवसर पर कौशल सिद्दीकी एडवोकेट,मौलाना अरशद सलमान,सैयद इकराम अली,सलमान फरीदी व सैयद नफीस उल हसन आदि मौजूद रहे।