राज्यपाल ने किया डॉ. कंचन नेगी को सम्मानित

 प्रदेश से परदेस तक है उत्तराखंड की डॉ. कंचन नेगी का वर्चस्व

देहरादून। देहरादून स्थित सोलिटेयर होटल में न्यूज़ नेशन द्वारा आयोजित हीरोज ऑफ़ उत्तराखंड कॉन्क्लेव में–प्राइड ऑफ़ उत्तराखंड सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।

जिसमें बतौर मुख्य अतिथि रहे मा. राज्यपाल सेवानिवृत्त ले. ज. गुरमीत सिंह , जिन्होंने प्रदेश में उत्कृष्ट कार्य करने वाली 5 महिलाओं को और पांच पुरुषों को अपने कर कमलों द्वारा सम्मानित किया।

जिसमें से उत्तराखंड की बेटी , अन्तराष्ट्रीय ट्रेनर, संचालिका, रिसर्च एंड डेवलपमेंट एंड कम्यूनिकेश्न्स एक्सपर्ट डॉ कंचन नेगी को, समाज में अपनी मेहनत और लगन से , निपुणता के साथ कार्य करते हुए , फिल्म प्रोडक्शन्स , ट्रेनिंग एवं समाज सेविका के लिए उनको सम्मानित किया ।
यही नहीं, उन्होंने जनता को सम्बोधित करते हुए, डॉ . अपने वक्तव्य में ,
डॉ कंचन नेगी की प्रशंसा करते हुए कहा कि डॉ. कंचन नेगी के मुख में सरस्वती का वास है, वे बहुत अच्छी वक्ता हैं, उन्होंने कई कार्यक्रमों में डॉ. कंचन नेगी का कार्य देखा है , बड़े – बड़े इवेंट्स को संचालित लरते हुए देखा है , और उन्हें डॉ . कंचन पर बेहद गर्व है कि वे इतनी निष्ठा से कार्य करती हैं कि आज वो हमारे समाज में एक मिसाल बन गयी हैं और वे और आगे बढे , यही उनकी कामना हैं . इसी के साथ ही उन्होंने सभी को शुभकामनाएं दी.
आपको बता दें कि डॉ कंचन नेगी को बयालीस से ज्यादा अन्तर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय पुरस्कार से नवाजा गया है , वे एक सीनीयर कंसल्टेंट भी है और एक बेहतरीन उद्यमी भी , वे समाजसेविका भी हैं और दूरदर्शन में समाचारवाचिका भी- यही नही, हर शनिवार रात 9 बजे, उनका प्रायोजित कार्यक्रम “द कंचन नेगी शो” दूरदर्शन उत्तराखंड में प्रसारित होता है जिसका उद्देश्य है उत्तराखंड की कला, संस्कृति, साहित्य, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, कृषि एवं इतिहास के साथ – साथ प्रख्यात शक्सियतों के साथ भेंटवार्ता .
इसके अलावा वे, आपका बिजनेस सोल्यूशन्स की संस्थापिका होने के साथ – साथ , सैन्गुइन वी केयर वेलफेयर सोसाईटी की अध्यक्षा और उत्तराखंड हेरिटेज मीडिया की एडिटर इन चीफ भी हैं

उनका मानना है कि बिना परिश्रम का जीवन व्यर्थ होता है क्योंकि प्रकृति द्‌वारा दिए गए संसाधनों का उपयोग वही कर सकता है जो परिश्रम पर विश्वास करता है। परिश्रम अथवा कर्म का महत्व श्रीकृष्ण ने भी अर्जुन को गीता के उपदेश द्‌वारा समझाया था । उनके अनुसार: ”कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन: ।” परिश्रम अथवा कार्य ही मनुष्य की वास्तविक पूजा-अर्चना है । इस पूजा के बिना मनुष्य का सुखी-समृद्‌ध होना अत्यंत कठिन है । वह व्यक्ति जो परिश्रम से दूर रहता है अर्थात् कर्महीन, आलसी व्यक्ति सदैव दु:खी व दूसरों पर निर्भर रहने वाला होता है।

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