नैनीताल । उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हरिद्वार जनपद में पशुवधशालाओं (स्लाटर हाउस) के मामले में याचिकाकर्ता को राहत देने से इनकार कर दिया है। यानी फिलहाल हरिद्वार में पशुओं के वध पर कानूनी रोक रहेगी। हरिद्वार निवासी इफ्तिकार की ओर से दायर जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि प्रदेश सरकार ने तीन मार्च, 2021 को कानून बनाकर हरिद्वार जनपद में पशुओं के वध पर प्रतिबंध लगा दिया है। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि हरिद्वार जनपद में एक भी स्लाटर हाउस नहीं है। प्रदेश सरकार किसी खास स्थान में पशुओं के वध पर प्रतिबंध जारी कर सकती है लेकिन पूरे जनपद में प्रतिबंध नहीं लगा सकती है। यह संविधान के अनुच्छेद-21 का उल्लंघन है।
सरकार सिर्फ धार्मिक स्थलों में ही पशुओं के वध पर रोक लगा सकती है। याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि मंगलौर व रूड़की में 87 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। पशु वध पर प्रतिबंध लगाने से उनके अधिकारों का हनन हुआ है। इस मामले में उन्होंने गुजरात का उदाहरण भी दिया। सरकार की ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर अदालत में पेश हुए और उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से पशु वध पर प्रतिबंध लगाया है।
किसी के भी खाने पर प्रतिबंध नहीं है। इसलिये यह कहना की खास वर्ग के लोगों के अधिकारों का हनन हुआ है, यह गलत है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को संविधान के अनुच्छेद 48ए के तहत कानून बनाने का अधिकार है। मामले को सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता को राहत देने से इनकार कर दिया। अब इस मामले में अगली सुनवाई अगस्त माह में होगी।