संयुक्त राष्ट्र। भारत ने कहा है कि आतंकवादी कृत्यों के कारणों के आधार पर आतंकवाद को वर्गीकृत करने की प्रवृत्ति “खतरनाक” है। भारत ने साथ ही इस बात पर जोर भी दिया कि ‘इस्लामोफोबिया’, सिख-विरोधी, बौद्ध-विरोधी या हिंदू-विरोधी पूर्वाग्रहों से प्रेरित सभी प्रकार के आतंकवादी हमले निंदनीय हैं।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने बृहस्पतिवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उस नयी शब्दावली और गलत प्राथमिकताओं के खिलाफ खड़े होने की जरूरत है जो आतंकवाद की बुराई से निपटने के उसके संकल्प को कमजोर कर सकते हैं।
उन्होंने वैश्विक आतंकवाद-रोधी रणनीति (जीसीटीएस) की 8वीं समीक्षा पर मसौदा प्रस्ताव पर पहले वाचन पर कहा, ‘‘आतंकवादी कृत्यों के कारणों के आधार पर आतंकवाद के वर्गीकरण की प्रवृत्ति खतरनाक है और यह उन स्वीकृत सिद्धांतों के खिलाफ जाती है कि ‘आतंकवाद के सभी स्वरूपों की निंदा की जानी चाहिए और आतंकवाद के किसी भी कृत्य को किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता।
’ कंबोज ने कहा कि अच्छे आतंकवादी या बुरे आतंकवादी नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि इस तरह का दृष्टिकोण ‘‘हमें केवल 9/11 के पहले के युग में वापस ले जाएगा जब आतंकवादियों को ‘आपके आतंकवादी’ और ‘मेरे आतंकवादी’ के रूप में वर्गीकृत किया जाता था। इससे पिछले दो दशकों में अर्जित सामूहिक लाभ मिट जाएगा।