नैनीताल । उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्लास्टिक जनित कूड़े के मामले में अदालत के आदेश का ठोस अनुपालन नहीं किये जाने के मामले को गंभीरता से लेते हुए शहरी विकास विभाग के सचिव, पंचायती राज सचिव व वन एवं पर्यावरण विभाग सचिव के साथ ही शहरी विकास विभाग के निदेशक को 20 मार्च को व्यक्तिगत रूप से अदालत में तलब किया है।
दालत ने चारों से पूछा है कि वह बतायें कि प्लास्टिक जनित कूड़े की रोकथाम को लेकर उन्होंने क्या क्या कदम उठाये हैं। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की युगलपीठ में अल्मोड़ा निवासी जितेन्द्र यादव की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि सचिव पंचायती राज की ओर से अदालत के 20 दिसंबर, 2022 के आदेश का ठोस अनुपालन नहीं किया जा रहा है।
याचिकाककर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि पंचायती राज विभाग की ओर से प्रदेश के ग्राम प्रधानों से प्लास्टिक जनित कूड़े के मामले में सुझाव व जानकारी लेने के बाद रिपोर्ट अदालत को सौंपनी चाहिए थी लेकिन 8000 ग्राम प्रधानों की ओर से से शपथपत्र सीधे उच्च न्यायालय को भेज दिये गये हैं। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि अल्मोड़ा के द्वाराहाट ब्लाक के मेल्टा, धनियारी व पनेर गांवों के तीन ग्राम प्रधानों की ओर से अलग अलग पत्र लिखकर शिकायत की गयी है कि द्वाराहाट के ग्राम पंचायत अधिकारी की ओर से उनसे जबरदस्ती शपथपत्र लिया जा रहा है और न तो ग्राम सभा में इसको लेकर कोई बैठक हुई तथा न ही कूड़ेदान लगाये गये हैं।
बैठक के फर्जी फोटो लगाये गये हैं और जो कूड़ेदान लगाये गये हैं। उन्हें फिर वापस ले लिया गया है। इस मामले में सरकार के पास कोई जवाब नहीं था। अदालत की ओर से सरकार से पूछा गया कि 20 दिसंबर के आदेश के अनुपालन में क्या कदम उठाये गये हैं। अदालत ने कहा कि सरकार इस मामले में सिर्फ कागजी कार्यवाही कर रही है और धरातल में स्थिति जस की तस है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वह यात्रा के दौरान आते जाते वक्त देखते हैं कि जगह जगह कूड़े के अंबार लगे हैं। प्लास्टिक कूड़ा के चलते पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। अदालत ने अंत में मामले को गंभीरता से लेते हुए अल्मोड़ा की डिस्ट्रिक लीगल सेल को निर्देश दिये कि वह द्वाराहाट के संबद्ध गांवों का दौरा कर अगली तिथि तक जांच रिपोर्ट अदालत में पेश करें। साथ ही आरोपी अधिकारी के खिलाफ क्या कार्यवाही की गयी है, यह भी बतायें। इसके साथ ही अदालत ने शहरी विकास विभाग, वन एवं पर्यावरण व पंचायती राज विभाग के सचिव व निदेशक को अदालत में तलब किया है।
अदालत ने चारों से पूछा है कि उन्होंने प्लास्टिकजनित कूड़े के निस्तारण के मामले में समय समय पर दिये गये आदेशों के अनुपालन में क्या ठोस कदम उठाये हैं। यही नहीं अदालत ने केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को भी निर्देश दिये कि उसने देश की प्लास्टिक पैकेजिंग उत्पादक, निर्माता व ब्रांड मालिकों को पर्यावरण सुरक्षा को लेकर जो प्लान तैयार किया है वह प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी सौंपे ताकि उनके खिलाफ कार्यवाही अमल में लायी जा सके।
इसके साथ ही अदालत ने प्लास्टिक कूड़े को लेकर उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर व ईमेल पर आने वाली शिकायतों के निस्तारण के मामले में उचित कार्यवाही नहीं किये जाने के मामले में गढ़वाल मंडल व कुमाऊं मंडल के आयुक्त से रिपोर्ट मांगी है। दूसरी ओर ग्राम प्रधानों की ओर से पेश शपथ पत्र में कहा गया कि उनके पास संसाधनों की कमी है। प्लास्टिक कूड़े निस्तारण के लिये न तो फंड है और न ही कर्मचारी मौजूद हैं। सरकार को इसके लिये नियमावली तैयार करनी चाहिए।