देहरादून। ग्राफिक एरा अस्पताल में शिशु के जन्म के पहले 60 सेकेंड में बरती जाने वाली सावधानियों पर वर्कशॉप करके डॉक्टरों और नर्सों को इसके गुर सिखाये गये।
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स और नेशनल न्यूनैटॉलॉजी फोरम के तत्वावधान में चकराता रोड स्थित ग्राफिक एरा अस्पताल में इस वर्कशॉप का आयोजन किया गया। फर्स्ट गोल्डन मिनट प्रोजेक्ट के तहत आयोजित इस वर्कशॉप के कोर्स कॉर्डिनेटर व ट्रेनर के रूप में ग्राफिक एरा अस्पताल के नवजात शिशु व बाल रोग विशेषज्ञ डॉ शांतुन शुभम ने कहा कि किसी भी शिशु के जन्म के बाद के पहले 60 सेकेंड उसकी पूरी जिंदगी के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। यही वे क्षण होते हैं, जब शिशु अपनी मां पर निर्भरता छोड़कर अपने फेफड़ों का इस्तेमाल शुरू करता है। इस एक मिनट में उसकी जिंदगी में कई तरह के बदलाव आते हैं।
डॉ शांतुन शुभम ने बताया कि नवजात शिशु के जन्म के बाद के इस पहले मिनट में डॉक्टर और नर्स जो प्रयास करते हैं, उनका प्रभाव शिशु के मस्तिष्क और ह्रदय के साथ पूरे जीवन पर पड़ता है। इसीलिए इसे फर्स्ट गोल्डन मिनट कहा जाता है। डॉ शुभम ने इस पहले मिनट में किए जाने वाले कार्यों के बारे में प्रयोगात्मक जानकारी विस्तार से दी।
कार्यशाला में दून मेडिकल यूनिवर्सिटी के डॉ विशाल कौशिक ने भी प्रतिभागियों को नियोनेटल रिससिटेशन की ट्रेनिंग दी। उन्होंने कहा कि जन्म के बाद के पहले घंटे में शिशु को मां का दूध पिलाना बहुत महत्वपूर्ण होता है।