कोरोना के बाद ग्रामीण कारोबारी धारणा हो रही मजबूत

नयी दिल्ली। कोरोना महामारी के बाद देश के ग्रामीण क्षेत्रों में कारोबारीधारणा मजबूत होने लगी है जिससे आगे ग्रामीण क्षेत्रों में से मांग बढ़ने की उम्मीद है। क्रेडिट ब्यूरो सीआरआइएफ हाई मार्क ने आज भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सहयोग से अपना रूरल बिजनेस कॉन्­फीडेंस इंडेक्­स (आरबीसीआई) का दूसरा संस्करण लॉन्च किया।

यह सूचकांक 2022 में ग्रामीण व्यापार रुझान के परिदृश्य की जानकारी देता है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 तक रूरल बिजनेस कॉन्­फीडेंस स्कोर 73.5 रहा, जिसमें 2021 के मुकाबले 9.6 अंकों की बढ़ोतरी हुई है।
आरबीसी इंडेक्स के लिए सीआईआई द्वारा यह सर्वेक्षण ग्रामीण स्थानों में सक्रिय अपने सदस्यों पर किया गया था।

सर्वेक्षण के नमूनों में सूक्ष्म, लघु, मध्यम और बड़े निगमों की संस्थाएं शामिल हैं। अखिल भारतीय स्तर पर ग्रामीण बाजारों से एकत्र किए गए सर्वेक्षण के निष्कर्ष के मुताबिक इसमें शामिल 70 प्रतिशत को उम्मीद है कि सरकारी नीतियां और योजनाएं 2022 में ग्रामीण विकास को बढ़ावा देंगी।

59 प्रतिशत ने 2022 में अपने संगठन की लाभप्रदता में वृद्धि और 82 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने 2022 में डिजिटल पैठ में तेजी की उम्मीद जताई।
इसके अलावा 43 प्रतिशत ने माना कि 2022 में प्रशिक्षित कार्यबल की उपलब्धता में वृद्धि होगी और 69 प्रतिशत ने ग्रामीण भारत में बुनियादी ढांचा के गुणवत्ता में सुधार होने की उम्मीद जताई। 64 प्रतिशत ने अपने संगठनों के आॅर्डर बुक में वृद्धि जबकि 42 प्रतिशत ने ॠण तक आसान पहुंच की उम्मीद जताई।

इस रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 21 से वित्त वर्ष 22 के तक ग्रामीण भौगोलिक क्षेत्रों में ॠण का व्यापक विस्तार हुआ है। वैल्यू के लिहाज से खुदरा संगठनों के ॠण विकास मे 25 प्रतिशत, वॉल्यूम के लिहाज से 85 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

वहीं माइक्रो फाइनैंस संस्थाओं के लिए वैल्यू के लिहाज से 30 प्रतिशत और वॉल्यूम के लिहाज से 21प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वाणिज्यिक लोन संगठनों के लिए वैल्यू के लिहाज से 28प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
हालांकि इसी अवधि में वॉल्यूम में 5प्रतिशत की गिरावट आई है।

इसके अतिरिक्त सर्वे रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 22 में खुदरा क्षेत्र के लिए लोन का औसत आकार 1.3 लाख रुपये रहा, जबकि सूक्ष्म वित्त या माइक्रोफाइनैंस के लिए यह रकम 37.5 हजार रुपये रही। वहीं वाणिज्यिक लोन के लिए यह मात्रा 1.33 लाख रुपये रही।

वित्त वर्ष 21 में खुदरा के लिए औसत लोन की राशि 1.9 लाख रुपये, सूक्ष्म वित्त के लिए 35 हजार और वाणिज्यिक लोन के लिए 98 लाख रुपये रही। सीआईआई नैशनल टास्क फोर्स आन रूरल डेवलपमेंट एंड माइग्रेंट वर्कफोर्स के अध्यक्ष और ब्लूस्टार के प्रबंध निदेशक बी त्यागराजन ने कहा, ‘‘आज, पहले से कहीं अधिक, ग्रामीण अर्थव्यवस्था भारत की अर्थव्यवस्था का केंद्र बन चुका है।

बिजनेस कॉन्फिडेंस स्कोर का 63.9 से बढ़कर 73.5 होना कोविड महामारी के दौरान प्रभावी रिजीलिएंस और पिछले 2 वर्षों में तेजी से विकास की स्थिति को दर्शाता है। ग्रामीण भारत आज विकास की वांछित गति के लिहाज से नए खिलाड़ियों और नए मॉडलों के उभरने का केंद्र बन रहा है।

हमें विश्वास है कि सूचकांक समावेशी ग्रामीण आर्थिक विकास की दिशा में रणनीतिक निर्णय लेने के लिए महत्वपूर्ण निर्देशक के रूप में कार्य करेगा।

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