हरिद्वार । डॉ. दिनेश शर्मा के शोध आलेख को इसी माह फिजी में होने वाले बारहवें विश्व हिन्दी सम्मेलन में प्रस्तुत करने के लिए चुना गया है। भाषाविद् डॉ. शर्मा ने कृत्रिम मेधा यानि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उन्नत अनुप्रयोगों के हिन्दी भाषा पर हो रहे प्रभावों का अध्ययन करते हुए हिन्दी के प्रचार-प्रसार और विकास में ए.आई.की भूमिका को अपने शोध पत्र में रेखांकित किया है।
इस आलेख को आगामी सप्ताह 15 से 17 फरवरी को फिजी के नान्दी शहर में होने वाले 12वें विश्व हिन्दी सम्मेलन में प्रस्तुत करने के लिए विदेश मंत्रालय द्वारा डॉ. शर्मा को अनुमति पत्र जारी किया गया है। डॉ. शर्मा एक सेवानिवृत्त नौसैनिक हैं और वर्तमान में कैग में बतौर सहायक लेखाधिकारी सेवाएं दे रहे हैं।
इससे पहले उनके पीएचडी शोध कार्य “प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी की भाषिक प्रभावोत्पादकता” की भी काफी प्रशंसा हो चुकी है। डॉ. शर्मा के मुताबिक हिन्दी की विकास यात्रा में कृत्रिम मेधा के पास निभाने के लिए एक निर्णायक भूमिका है। आने वाले समय में एन.एल.पी. यानि प्राकृतिक भाषा संसाधन में ए.आई. के विवेकपूर्ण अनुप्रयोगों की छत्रछाया में वैश्विक पटल पर हिन्दी का और अधिक समृद्ध स्वरूप देखने को मिलेगा।