कोलकाता। पश्चिम बंगाल सरकार ने यूनीसेफ के साथ मिलकर राज्य में स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण को सफल बनाने के लिए कंपनियों, सामाजिक संगठनों और अन्य हितधारकों से सहायता की अपील की है।
राज्य सरकार के अधिकारियों ने सरकार और यूनीसेफ द्वारा आयोजित कार्यशाला में सोमवार को कहा था कि इन कंपनियों, सामाजिक संगठनों और हितधारकों ने परियोजना के पहले चरण को सफल बनाने में सकारात्मक भूमिका निभाई है, जिसे ‘मिशन निर्मल बंगला’ के रूप में भी जाना जाता है।
पश्चिम बंगाल में स्वच्छ भारत मिशन के मिशन निदेशक संतोष जी आर ने बैठक में कहा कि सभी लोग सरकार के साथ मिलकर दूसरे चरण को सफल बनाने के लिए साथ दें। उन्होंने कहा कि सरकार के साथ सहयोग करने में रुचि रखने वाला कोई भी व्यक्ति इसमें शामिल हो सकता है और कार्यक्रम को सफल बना सकता है।
उन्होंने बताया कि मिशन निर्मल बंगाल के दूसरे चरण में गांवों से निकलने वाले ठोस कचरे को एकत्र कर जैविक खाद में बदला जाएगा। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पन्न होने वाले प्लास्टिक कचरे को रिसाइकिल किया जाएगा। पूर्व वर्धमान जिले में एक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के विभिन्न भागों में इस तरह के 16 मॉडल कार्यक्रमों को शुरू किया गया है।
दूसरे चरण में, राज्य के अन्य भागों में इन मॉडलों को दोहराया जाएगा। इस परियोजनाओं का लाभ जन-जन तक पहुंचाने के लिए सरकार को यूनीसेफ, एनजीओ, सिविल सोसाइटी संगठनों, उद्योगों की मदद की जरूरत है। सीएसओ और एनजीओ स्वच्छ भारत मिशन के उद्देश्यों और मिशनों को अंतिम मील तक पहुंचाने के लिए एक दूसरे के साथ काम कर सकते हैं।
बैठक में पश्चिम बंगाल के यूनीसेफ के प्रमुख अधिकारी मोहम्मद मुहिउद्दीन ने कहा कि ग्रामीण लोगों के व्यवहार में बदलाव लाना जरूरी है ताकि नल से जल और शौचालय का प्रयोग बढ़े तथा ग्रामीण लोगों को फायदा हो।
उन्होंने बताया कि यूनीसेफ ने पुरुलिया, हावड़ा और माल्दा के ठोस अपशिष्ट प्रबंधन इकाईयों को तकनीकी सहायता उपलब्ध करायी है, जहां ठोस कचरे से कंपोस्ट खाद बनायी जाती है और इसे ऐसे मॉडल के रूप में पेश किया गया है जिसका प्रयोग सरकारें व्यापक रूप से कर सकती हैं।