देहरादून। आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों ने उत्तराखंड में कर्णप्रयाग के बहुगुणा नगर में बीते एक साल से हो रहे भू-धंसाव से प्रभावित क्षेत्र का सर्वे कर यहां की सुरक्षा के लिए डीपीआर तैयार कर रही है। अलकनंदा व पिंडर नदी के संगम पर स्थित कर्णप्रयाग के बहुगुणा नगर में बीते एक साल से हो रहे भू-धंसाव से करीब 40 से अधिक भवनो पर दरारें आ गई हैं।
जिससे यहां के करीब 100 परिवार खतरे की जद में आ गए हैं। इसमें आठ मकान बेहद असुरक्षित हो गए हैं जो कभी भी जान-माल के लिए खतरा बन सकते हैं। इसे देखते हुए कर्णप्रयाग तहसील प्रशासन की संयुक्त टीम ने बदरीनाथ हाईवे के किनारे बसे बहुगुणा नगर व सब्जी मंडी के ऊपरी भाग आईटीआई क्षेत्र में हो रहे भू-धंसाव से क्षतिग्रस्त भवनों के निरीक्षण के साथ मूल्यांकन किया।
प्रशासन की टीम ने मौके पर 25 मकानों में बड़ी दरारें पाई, जिसमें आठ मकान गंभीर रूप से असुरक्षित पाए गए। तहसील प्रशासन की टीम ने क्षतिग्रस्त भवनों का निरीक्षण कर आठ भवनों को बेहद असुरक्षित घोषित किया किया है जो कभी भी जान-माल के लिए खतरा बन सकते हैं।
टीम ने आठ पीड़ित परिवारों को भवन खाली करने के नोटिस देकर इन परिवारों को कर्णप्रयाग नगर पालिका के रैन बसेरे में शिफ्ट कर दिया है। तहसील प्रशासन की रिपोर्ट पर जिलाधिकारी ने आईआईटी रुड़की को इस मामले में संज्ञान लेने के लिए कहा जिस पर आईआईटी के वैज्ञानिकों द्वारा क्षेत्र का सर्वे कर यहां की सुरक्षा के लिए डीपीआर तैयार की जा रही है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए जनपद के प्रभारी मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत ने भी बीते दिन प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर आश्वासन दिया कि प्रभावितों के विस्थापन तथा प्रभावित क्षेत्र की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे।
जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने बताया कि कर्णप्रयाग के भूस्खलन क्षेत्र में रुड़की आईआईटी के वैज्ञानिकों द्वारा द्वारा इस क्षेत्र का सर्वे कर डीपीआर तैयार की जा रही है, और यहां के सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। प्रभावितों को अहेतुक राशि भी वितरित की जा चुकी है। पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त भवनों के प्रभावितों को नगरपालिका के रेन बसेरे में शिफ्ट कर दिया गया है। शीघ्र ही यहां के लोगों का पुनर्वास व विस्थापन किया जाएगा। प्रशासन इस मामले में पूरी संवेदनशीलता के साथ कार्य कर रहा है।