जोशीमठ पर वैज्ञानिकों संस्थानों के बोलने पर पाबंदी

मीडिया और सोशल मीडिया पर डेटा साझा नहीं करने के निर्देश

देहरादून। गजब है जब लोगों को जोशीमठ भू-धंसाव के बारे में वैज्ञानिक ढंग से जागरूक करने की ज्यादा जरूरत है। उसी वक्त राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने तमाम केंद्रीय वैज्ञानिक संस्थानों, शोध संस्थानों यहां तक कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण पर जोशीमठ पर बोलने पाबंदी लगा दी है।

जोशीमठ के भूधंसाव नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर की तरफ से जारी भूधंसाव के सेटेलाइट चित्रों से किरकिरी होने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने तमाम केंद्रीय वैज्ञानिक संस्थानों, शोध संस्थानों यहां तक कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण पर जोशीमठ पर बोलने पाबंदी लगा दी गई है यानी अब आम जनता को भूधंसाव के बारे में तथ्य नहीं मिल पाएंगे।

उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण समेत 12 संस्थानों सीबीआरआई रुड़की, जीएसआई, एनआरएससी-इसरो, सीजीडब्ल्यूबी, सर्वे ऑफ इंडिया , आईआईआरएस देहरादून, एनजीआरआई, एनआईएच रुड़की, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी , आईआईटी रुड़की, एनआईडीएम नई दिल्ली और उत्तराखंड स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी, देहरादून को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य सचिव की मंजूरी के बाद संयुक्त सलाहकार बिश्वरूप दास की ओर से पत्र जारी कर कहा गया है कि जोशीमठ, उत्तराखंड में ग्राउंड सब्सिडेंस के संबंध में मीडिया के साथ कोई बातचीत न करें और सोशल मीडिया पर डेटा साझा नहीं करें।

यह देखा गया है कि विभिन्न सरकारी संस्थान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में विषय वस्तु से संबंधित डेटा जारी कर रहे हैं और साथ ही वे स्थिति की अपनी व्याख्या के साथ मीडिया से भी बातचीत कर रहे हैं। यह न केवल प्रभावित निवासियों बल्कि देश के नागरिकों के बीच भी भ्रम पैदा कर रहा है। 12 जनवरी 2023 को केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान इस मुद्दे पर प्रकाश डाला गया। इसके बाद 12 जनवरी 2023 को एनडीएमए के सदस्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में भी इस पर चर्चा की गई।

साथ ही जोशीमठ में भू-धंसाव के आकलन के लिए एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया गया है। सभी वैज्ञानिक संस्थानों से कहा गया है किवे इस मामले में अपने संगठन को संवेदनशील बनाएं और इससे परहेज करें विशेषज्ञ समूह द्वारा अंतिम रिपोर्ट जारी किए जाने तक मीडिया प्लेटफॉर्म पर कुछ भी पोस्ट न करें।

इन संस्थानों पर लगाई गई पाबंदी

1-सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) रुड़की
2-भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण (जीएसआई) कोलकाता
3-नेशनल रीमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी-इसरो) हैदराबाद
4- सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) नई दिल्ली
5-सर्वे ऑफ इंडिया ( एसओआई) देहरादून
6- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रीमोट सेंसिंग(आईआईआरएस) देहरादून
7- नेशनल जियोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट(एनजीआरआई) हैदराबाद
8- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी (एनआईएच) रुड़की
9-वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (डब्ल्यूआईएचजी) देहरादून
10-आईआईटी रुड़की
11- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमैंट(एनआईडीएम) नई दिल्ली
12-उत्तराखंड स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (यूकेएसडीएमए) देहरादून

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