नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया है कि उसने चुनावों में धन बल के खतरे को रोकने के लिए विभिन्न उपायों को अपनाया है और ये उपाय भविष्य में भी जारी रहेंगे। आयोग ने यह बात प्रभाकर देशपांडे नामक शख्स की याचिका के जवाब में कही। याचिका में राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा अत्यधिक चुनावी खर्च को रोकने और दोषी उम्मीदवारों और पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एक व्यापक योजना के साथ आने का निर्देश देने की मांग की गई है।
आयोग ने एक हलफनामे में तर्क दिया कि ऐसा तंत्र पहले से मौजूद है और यह राजनीतिक दलों द्वारा अत्यधिक चुनावी खर्च को रोकने में काफी हद तक कामयाब रहा है। चुनाव निकाय ने कहा कि आज अधिक धन जब्त किए जाने का एक कारण ईसीआई की बढ़ी हुई सतर्कता और प्रयास है।
निदेशक (कानून), ईसीआई वी. के. पांडे द्वारा दायर एक हलफनामे में कहा गया है कि चुनावों में धन बल के खतरे को रोकने के लिए ईसीआई ने समय-समय पर विभिन्न उपायों को अपनाया है और भविष्य में भी ऐसा करना जारी रखेगा।आयोग ने इस बात पर जोर दिया कि वह चुनावों में धन बल के बढ़ते इस्तेमाल को लेकर गंभीर रूप से चिंतित है।
हलफनामे में कहा गया है, इस खतरे पर अंकुश लगाने के लिए आयोग ने बिहार विधान सभा, 2010 के आम चुनावों के बाद से चुनावों में चुनाव व्यय निगरानी तंत्र को प्रभावी ढंग से और सफलतापूर्वक लागू किया है। बेहिसाब खर्च पर अंकुश लगाने के लिए आयोग ने चुनाव के दौरान चुनावी खर्च की निगरानी के लिए एक मजबूत तंत्र पेश किया है।
चुनाव आयोग ने कहा कि इसमें व्यय पर्यवेक्षकों, वीडियो निगरानी टीमों, वीडियो देखने वाली टीमों, लेखा टीमों, शिकायत निगरानी और कॉल सेंटर, मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति, उड़न दस्ते और निगरानी टीमों की तैनाती शामिल है।