सुप्रीम कोर्ट ने किया उत्तराखंड सरकार और अफरोज का जवाब तलब

तीन तलाक और दहेज उत्पीड़न के मामले में दाखिल की गई है विशेष अपील

हल्द्वानी । उच्चतम न्यायालय ने नैनीताल अंडा मार्केट निवासी मंसूर अली की तीन तलाक व दहेज से जुड़े मामले में राज्य सरकार एवं बंगाली कॉलोनी लालकुआं निवासी अफरोज का जवाब तलब कर दिया है। जवाब देने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया गया है।

यह जवाब तलब मंसूर अली की एक विशेष अनुमति याचिका की सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति एस रविन्द्र और न्यायमूर्ति जेबी प्रदीवाल की खंडपीठ किया है। याचिकाकर्ता ने नैनीताल उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। इसमें कहा गया कि उच्च न्यायालय ने उन्हें आईपीसी की धारा 323 मार पिटाई के मामले में निचली अदालत में उपस्थित होकर जमानत कराने को कहा था।
मामले के अनुसार लालकुआं कोतवाली में फरवरी 2२1 में अफरोज पुत्री मोहम्मद अली निवासी बंगाली कालोनी लालकुआं ने अपने पति मंसूर अली पुत्र शकील अहमद निवासी अंडा मार्केट मल्लीताल नैनीताल के खिलाफ तीन तलाक देने, दहेज उत्पीड़न एवं मारपीट की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया।

इसमें कहा गया कि उसका 13 वर्ष का पुत्र व एक छोटी पुत्री है। किंतु उसके पति के किसी दूसरी महिला के साथ सम्बन्ध हैं। वह अक्सर दहेज के लिये मारपीट करता है। जिस कारण वह मायके लालकुआं आ गई। 23 फरवरी 2001 को उसका पति मंसूर अली लालकुआं आया और तीन बार तीन तलाक कहकर चला गया।
इस मामले में आरोपों को निराधार बताते हुए मंसूर अली ने उच्च न्यायालय नैनीताल में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की थीं। इसमें कहा था कि वह अपनी पत्नी को दोबारा अपने पास रखने को तैयार है। किंतु वह नहीं आ रही है। इसके अलावा वह दहेज उत्पीड़न के आरोप भी सिद्ध नहीं कर सकी है। इन तर्कों के बाद उच्च न्यायालय ने मंसूर अली की तीन तलाक व दहेज उत्पीड़न की धाराओं में अग्रिम जमानत मंजूर कर ली थी। मारपीट के मामले में उसको निचली कोर्ट में पेश होकर जमानत कराने को कहा था।

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