नयी दिल्ली। इनपुट्स टू पॉलिसी ऑन एम्पॉवरिंग यंग साइंटिस्ट्स पर वेबिनार का आयोजन किया गया। यह आयोजन भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय, भारतीय राष्ट्रीय युवा विज्ञान अकादमी (आईएनवाईएएस) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान , बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने संयुक्त रूप से किया था।
कार्यालय की पहल है कि युवा वैज्ञानिकों का सशक्तिकरण किया जाये, जिसका उद्देश्य है कि भारत में युवा वैज्ञानिकों व अनुसंधानकर्ताओं की अगली पीढ़ी को सशक्त बनाने तथा उन्हें बढ़ावा देने के लिये एक नये नीतिगत दस्तावेज को तैयार किया जा सके। इसका उद्देश्य देश में अनुसंधान व विकास को आगे बढ़ाने के लिये वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीय नेतृत्व में उत्कृष्टता लाई जा सके।
वेबिनार में विश्व के विभिन्न हिस्सों से वक्ताओं ने भाग लिया, जिनमें प्रोफेसर टी. के. ओमन, मिशिगन, टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, अमेरिका; डॉ. मनु वोरा, एएसक्यू फेलो, अध्यक्ष, बिजनेस एक्सीलेंस, इंक., अमेरिका; प्रोफेसर अनुपमा प्रकाश, प्रोवोस्ट और कार्यकारी कुलपति, अलास्का विश्वविद्यालय; प्रोफेसर गणेश बोरा, एसोसिएट वाइस चांसलर (रिसर्च एंड इनोवेशन), फेयेटविले स्टेट यूनिवर्सिटी; प्रोफेसर मनोज के. शुक्ला, मृदा भौतिकी विभाग के प्रोफेसर, न्यू मैक्सिको स्टेट यूनिवर्सिटी, अमेरिका; डॉ. केशव स्वर्णकार, सलाहकार जनरल सर्जन, रॉयल ग्वेंट अस्पताल, न्यूपोर्ट, यूके; प्रोफेसर नितिन के त्रिपाठी, प्रोफेसर (रिमोट सेंसिंग और जीआईएस), एशियाई प्रौद्योगिकी संस्थान, बैंकॉक; प्रोफेसर संजय के. शुक्ला, एडिथ कोवान विश्वविद्यालय, पर्थ, ऑस्ट्रेलिया; प्रोफेसर बिपाश्यी घोष, रिसर्च फेलो, डीप ट्रांजिशन, यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स, यूके; प्रोफेसर विक्रम अल्वा, प्रोजेक्ट लीडर, मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट बायोलॉजी, जर्मनी शामिल थे।
प्रारंभिक करियर शोधकर्ताओं के लिए वित्तपोषण सहायता की सिफारिशों के लिये वेबिनार में जो प्रमुख बिंदु उभरकर सामने आये वे हैं: अपनी रुचि के क्षेत्र में अनुसंधान करने की स्वतंत्रता; कौशल विकास-हार्ड और सॉफ्ट कौशल दोनों में; निर्णय लेने में भागीदारी; अंतर्राष्ट्रीय सहयोग करने के लिए प्रशासनिक प्रक्रियाओं को आसान बनाना; युवा शोधकर्ताओं को बनाए रखने और प्रोत्साहित करने के लिए प्रारंभिक करियर वैज्ञानिकों के पुरस्कार और मान्यता तथा करियर के विकास के अवसरों के बारे में जागरूकता फैलाना; युवा वैज्ञानिकों की नेटवर्किंग में निवेश करके सहयोग और वित्तपोषण के अवसरों पर जागरूकता फैलाना; परामर्शदाताओं के लिए अच्छे परामर्श कार्यक्रम और प्रोत्साहन; अनुसंधान नैतिकता, शोध पत्र प्रकाशन और पेटेंट फाइलिंग का समर्थन करने पर शिक्षा।
इस अवसर पर भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय के सूद ने कहा, ह्लयह भारत के युवा वैज्ञानिकों को सशक्त बनाने का हमारा सतत प्रयास है, क्योंकि यह भारत के भविष्य के लिए एक निवेश है।