नयी दिल्ली। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने कोलकाता के जोका में स्थित राष्ट्रीय पेयजल, स्वच्छता एवं गुणवत्ता केंद्र का नाम बदलकर ‘डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी राष्ट्रीय जल और स्वच्छता संस्थान (एसपीएम-निवास)’ किए जाने को कार्योत्तर मंजूरी दी है।
इस संस्थान को कोलकाता, पश्चिम बंगाल के जोका, डायमंड हार्बर रोड पर 8.72 एकड़ भूमि पर स्थापित किया गया है। इस संस्थान की परिकल्पना प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से जन स्वास्थ्य इंजीनियरिंग, पेयजल, स्वच्छता और साफ-सफाई के क्षेत्र में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में क्षमता विकसित करने वाले एक प्रमुख संस्थान के रूप में की गई है।
इन क्षमताओं की परिकल्पना न केवल स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन में लगी फ्रंट-लाइन वर्कफोर्स के लिए की गई है, बल्कि ग्रामीण और शहरी दोनों स्तर के स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों के लिए भी की गई है। इसी अनुसार ट्रेनिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर, आरएंडडी ब्लॉक और एक आवासीय परिसर सहित उपयुक्त बुनियादी ढांचा विकसित किया गया है। इस संस्थान में प्रशिक्षण की सुविधा के लिए जल, स्वच्छता और साफ-सफाई (वॉश) प्रौद्योगिकियों के वर्किंग और लघु मॉडल भी स्थापित किए गए हैं।
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी पश्चिम बंगाल के सबसे योग्य सपूतों में से एक और राष्ट्रीय एकता में अग्रणी, औद्योगीकरण के लिए प्रेरणा और एक प्रतिष्ठित विद्वान व शिक्षाविद थे। वे कलकत्ता विश्वविद्यालय के सबसे कम उम्र के कुलपति भी थे।
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम से इस संस्थान का नामकरण किया जाना तमाम हितधारकों को प्रेरित करेगा कि वे डॉ. मुखर्जी के ईमानदारी, अखंडता के मूल्यों को अपनाएं और संस्थान के कामकाज के लोकाचार में अपनी प्रतिबद्धता रखते हुए उन्हें सच्चा सम्मान दें। दिसंबर, 2022 में प्रधानमंत्री द्वारा इस संस्थान का उद्घाटन किया गया।