दिल्ली हाईकोर्ट ने भारत बायोटेक से मांगाविवरण

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने  भारत बायोटेक और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री को दो और याचिकाओं में पक्षकार बनाया, जिसमें सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत भारत के स्वदेशी कोविड-19 टीके कोवैक्सीन के विकास के लिए किए गए वित्त पोषण और खर्चो से संबंधित विवरण मांगा गया है। इससे पहले, दोनों को इनमें से केवल एक याचिका में प्रतिवादी बनाया गया था।

अदालत ने कहा कि चूंकि तीनों दलीलों में दोनों आवश्यक प्रतिवादी हैं, प्रत्येक याचिका के साथ पार्टियों का एक सामान्य ज्ञापन प्रस्तुत किया जाएगा। व्यापार रहस्य, बौद्धिक संपदा, और भारत की संप्रभुता और अखंडता के आधार पर तथ्यों को रोके रखने के केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के फैसले को चुनौती देने वाली तीन याचिकाओं पर इस समय न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह की पीठ सुनवाई कर रही है।

भारत बायोटेक का प्रतिनिधित्व करते हुए अधिवक्ता सुघोष सुब्रमण्यम ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता, अधिवक्ता टी. प्रशांत रेड्डी को भारत के हितों के खिलाफ काम करने पर केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया है। वह कथित तौर पर कोविड-19 महामारी के बारे में गलत जानकारी भी फैलाता है।

रेड्डी की ओर से पेश अधिवक्ता स्वाति सुकुमार ने जवाब में दावे का खंडन किया और कहा कि रेड्डी की टिप्पणियों को गाम्बिया में उन बच्चों की मौतों से जोड़कर देखा जाना चाहिए, जिन्होंने भारतीय खांसी की दवा का सेवन किया था। रेड्डी ने कोविड-19 महामारी या टीकाकरण पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

 

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