नयी दिल्ली। राष्ट्रवाद की प्रचंड लहर कांग्रेस जैसे सभी सेकुलर दलों को झुलसा रही है।सेकुलर (हिंदु विरोधी) राजनीति करने वाले दल न तो राष्ट्रीय धारा के साथ चल सकते हैं, न उसकी उपेक्षा कर सकते हैं।
गृहमंत्रीअमित शाह के बयान ,1 जन. 24 को राममंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। पर खडगे कह रहे हैं कि आप को क्या अधिकार है राम मंदिर पर बोलने का, आप कोई महंत हैं क्या? तो वहीं दूसरी ओर आरजेडी नेता जगदानंद राम जन्मभूमि के आधार को ही नफरती बता रहे हैं। इन बयानों के पीछे की मानसिक कुंठा बता रही हैं कि सेकुलर दल आगे कुआं पीछे खाई वाली स्थिति में है।
खड़गे शायद भूल रहे हैं कि कांग्रेस सहित सारे सेकुलर दल शुरुआत से ही राम मंदिर के विरोधी रहे है।प्रत्येक हिंदु विरोधी घटना में सभी गैर भाजपाई दल प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से हिंदुओं को पीडा पहुंचाने का अक्षम्य अपराध करते रहे है। जातीय आधार पर भारत विभाजन का कलंक तो कांग्रेस के माथे पर लगा हुआ हैं ही।
विभाजन के बाद भी अपवाद स्वरूप एक भी घटना ऐसी नहीं होगी जिसमें कांग्रेस हिंदुओं के साथ खडी रही हो।कांग्रेस ने हमेशा भारत के राष्ट्रीय समाज को दलित, स्वर्ण, जाट, राजपूत, जैन, ब्राह्मण में बांटने का घृणित काम किया है।
विगत एक दशक से भारतीय समाज ने कांग्रेस के षडयंत्र को पहचान कर कांग्रेस को पूरी तरह नकार दिया है। साथ ही जातिवाद/क्षेत्रवाद की राजनीति करने वाले आरजेडी जैसे क्षेत्रीय दलों को भी हिंदु समाज ने आईना दिखाना शुरू कर दिया है।
भारतीय जनता पार्टी ने राममंदिर आंदोलन को तो गंतव्य तक पहुंचाने के लिए सभी तरह के बलिदान दिए है।साथ ही हिंदु विरोधी षडयंत्रकारियों के लिए भी चुनौती बनकर खडे रहे है।
इसलिए खडगे को स्मरण रहना चाहिए कि सेकुलर दलों की नजर में अमित शाह भले ही राम मंदिर के महंत न हो, लेकिन भारत का राष्ट्रीय समाज अमित शाह के पैतृक दल भाजपा को राममंदिर का महंत अवश्य मानता है।
आरजेडी नेता जगदानंद तो खड़गे से भी दो कदम आगे निकलते हुए कहा कि “जिस स्थान पर राम मंदिर बन रहा है वह नफरती जमीन है।” उनके इस बयान से तो ऐसा ही लगता है कि जगदानंद न तो राष्ट्रीय समाज (हिंदुओं) की भावनाओं का सम्मान करते हैं और न ही भगवान राम का। इसीलिए आरजेडी की भी कांग्रेस की तरह दुर्गति होना तय है।