नयी दिल्ली। वृक्षा-रोपण अभियान के लिए ट्री-मैन के नाम से प्रसिद्ध पर्यावरण प्रेमी दीमक रमेश गौड़ ने अपनी जिजीविशा से सड़क दुर्घटना के आघात को पीछे छोड़ते हुए नये साल में पर्यावरण संरक्षण का अभियान फिर से शुरू करने का संकल्प लिया है।
गौड़ ने कहा, मैं अपनी बची हुई शारीरिक शक्ति को पर्यावरण और पारिस्थितिकी के संरक्षण में खपाना चाहता हूं। गौड़ (उम्र-44 साल) को वर्ष 2010 में एक सड़क हादसे में गंभीर चोटें आयीं थी, जिससे वे शारीरिक रूप से नि:शक्त हो गए थे, पर उन्होंने प्रकृति के संरक्षण के प्रति अपने समर्पण में कोई कमी नहीं आने दी। एक दशक के लम्बे अंतराल के बाद उन्होंने बची हुई शारीरिक क्षमता को पुन:पर्यावरण संरक्षण में लगाने का संकल्प लिया है।
वृक्षारोपण के लिए लोगों को पौधे भेंट करने के अपने अभूतपूर्व अभियान के लिए लिमका बुक आफ रिकार्ड में दर्ज श्री गौड़ खुद यूनीवार्ता कार्यालय चल कर आये थे। उन्होंने बातचीत में कहा, गिफ्ट ए ट्री, गिफ्ट ए लाइफ(वृक्ष का दान, जीवन दान) है। अगर हमें वाकई में पर्यावरण को बचाना है तो प्राकृतिक हरियाली को बचाना होगा और पर्यावरण को संरक्षित करना होगा।
उन्होंने नये वर्ष में लोगों से अधिकाधिक संख्या में पेड़ लगाने का आह्णह्णान करते हुए कहा,ह्यह्य आज जब अंधाधुंध वैज्ञानिक विकास के दौर में प्रदूषण से जहाँ पर्यावरण को क्षति पहुँच रही है, ऐसे में पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी न केवल भारतवर्ष बल्कि भूमंडलीय जिम्मेदारी बन गई है।
श्री गौड़ ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने का काम केवल सरकारों का नहीं है, इसमें जन भागीदारी भी जरूरी है। दीपक रमेश गौड़ अपने हौसले के बल पर आज भी खड़ा हैं और पर्यावरण को बचाने का अभियान चलाने की खातिर इन्हें ट्री-मैन की संज्ञा दी गई।
दस लाख से अधिक पौधे का उपहार दे चुके दीपक का नाम उनके इस कार्य के लिए कई बार लिमिका बुक आफ रिकार्ड में दर्ज हुआ है। वह कहते हैं कि राजनीतिक पार्टियों को भी अपने एजेंडा मे पर्यावरण को लेना चाहिए। उन्होंने कहा, ह्यह्य पेड़ पौधे हमारे सबसे बड़े मित्र हैं, जीवन के जितने भी रंग होते हैं, उसकी झलक हमें पेड़ पौधे में देखने को मिल सकती है।
पर्यावरण संरक्षण अभियान के तहत दीपक को एक बच्चों के डेलिगेशन के साथ पूर्व राष्ट्रपति डॉ ए पी जे कलाम से भी मिलने का अवसर प्राप्त हुआ, जिन्होंने दीपक को एक कविता ‘गॉड इज विथ मी’ तथा एक किताब इंडोमिटेबल स्पिरिट प्रदान की। दीपक के दिव्यांग होने की वजह से न्यूरो सर्जरी होनी थी और वह पूर्व मे कई दिनों तक कोमा मे रहने के बाद वापस लौटा था, इस वजह से डॉ कलाम को दीपक से सहानुभूति थी, जिससे दीपक को अपने पर्यावरण अभियान को आगे बढ़ाने में मदद मिली।
पृथ्वी दिवस पर दीपक हर वर्ष अपनी संस्था की तरफ से कार्यक्रम आयोजित करते रहे हैं, जिसमें इन्हें अपनी पत्नी भूमि का सक्रिय सहयोग सदैव मिलता रहा है। दीपक पर्यावरण संरक्षण अभियान में बच्चों को अधिक से अधिक संख्या में शामिल करना चाहते है, क्योंकि ये मानते हैं कि नयी पीढ़ी बेहतर तरीके से इस जिम्मेदारी को निभा सकते हैं।
पर्यावरण बचाने के लिए गौड़ मैजिकल 3आर का फार्मूला देते हैं, यानी रिड्यूस, रिसाइकिल और रियूज,वे कहते हैं कि पर्यावरण को बचाने के लिए कूड़े-कचरे को घटाने, पुनर्चक्रीकरण तथा पुनर्प्रयोग हमें करना होगा। तभी प्रदूषण नियंत्रण संभव हो सकता हैं, उनका मानना हैं कि वर्तमान में रूस यूक्रेन संघर्ष के फलस्वरुप पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
गौरतलब है कि आज अत्याधिक मात्रा में कार्बन डाइआक्साइड, कार्बन मोनोक्साइड, मीथेन, क्लोरोफ्लोरो कार्बन, गैस आदि के उत्सर्जन से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुँच रहा है।
भारत ने ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में 2070 तक कार्बन उत्सर्जन को शुद्ध रूप से शून्य करने की राष्ट्रीय प्रतिबद्धता व्यक्त की है। इसके लिए स्वच्छ ईंधन और नवीकरणीय ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ाने के साथ साथ वनीकरण और वृक्षारोपण जैसे प्रयासों से कार्बन को अवशेषित करने की क्षमता बढ़ाने की पहल भी की जा रही है।