जल संरक्षण के लिए वन क्षेत्र को बढ़ाने की आवश्यकता

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो संदेश के माध्यम से जल संरक्षण के विषय पर राज्यों के मंत्रियों के प्रथम अखिल भारतीय वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए जल संरक्षण में जन भागीदारी पर जोर दिया और कहा कि वाटर विजन-2047 अमृत काल की अगले 25 वर्षों की यात्रा का एक महत्वपूर्ण आयाम है।

प्रधानमंत्री ने जल के सभी स्थानीय स्रोतों के संरक्षण पर भी ध्यान देने का आह्वान किया और कहा ,  ग्राम पंचायतें अगले 5 वर्षों के लिए एक कार्ययोजना तैयार करें, जहां जल आपूर्ति से लेकर स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन तक के रोडमैप पर विचार किया जाए। उन्होंने राज्यों से यह भी कहा कि वे देखें कि किस गांव में कितने पानी की जरूरत है और इसके लिए क्या काम किया जा सकता है, इसके आधार पर पंचायत स्तर पर जल बजट तैयार करने के तरीके अपनाएं।

जल संरक्षण के लिए राज्य में वन क्षेत्र को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने पर्यावरण मंत्रालय और जल मंत्रालय द्वारा समन्वित प्रयास किए जाने का भी आह्वान किया। जल संरक्षण के विषय पर आयोजित इस सम्मेलन का शीर्षक है ‘वाटर विजन-2047’ है और इसका उद्देश्य स्वस्थ विकास और मानव विकास के लिए जल संसाधनों के दोहन के तरीकों पर चर्चा के लिए प्रमुख नीति निर्माताओं को एक साथ लाना है।

उन्होंने कहा , हमारी संवैधानिक व्यवस्था में पानी का विषय, राज्यों के नियंत्रण में आता है और जल संरक्षण के लिए राज्यों के प्रयास, देश के सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में बहुत सहायक होंगे। वाटर विजन-2047 अमृत काल की अगले 25 वर्षों की यात्रा का एक महत्वपूर्ण आयाम है।

उन्होंने इस अभियान में जनता और जन संगठनों की भागीदारी पर भी बल दिया । प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत अभियान का उदाहरण देते हुए कहा कि जब लोग स्वच्छ भारत अभियान से जुड़े तो जनता में भी एक चेतना जागृत हुई। स्वच्छता और हर घर शौचालय जैसे अपनी सरकार के अभियानों की सफलता का श्रेय जनता को देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने कई पहल की, चाहे वह गंदगी हटाने के लिए संसाधन एकत्र करना हो, विभिन्न जल उपचार संयंत्रों का निर्माण करना हो या शौचालयों का निर्माण करना हो, लेकिन इस अभियान की सफलता तब सुनिश्चित हुई जब जनता ने गंदगी को बिल्कुल हटाने का निर्णय लिया।

प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि जनजागरूकता के लिए ‘जल जागरूकता महोत्सव’ स्थानीय मेलों में जल जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन और विद्यालयों में पाठ्यचर्या शुरू की जा सकती है। देश में जल संरक्षण के लिए अपनी सरकार की पहलों का जिक्र करते हुए कहा कि हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाए जा रहे हैं जिसमें अब तक 25 हजार अमृत सरोवर बन चुके हैं।

प्रत्येक घर को पानी उपलब्ध कराने के लिए एक राज्य के लिए एक प्रमुख विकास पैरामीटर के रूप में ‘जल जीवन मिशन’ की सफलता पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि कई राज्यों ने अच्छा काम किया है, जबकि कई राज्य इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने पानी से जुड़ी समस्याओं की पहचान करने और समाधान खोजने के लिए प्रौद्योगिकी, उद्योग और स्टार्टअप्स को जोड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया ।

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