धर्मपाल धनखड़
हरियाणा के खेल राज्यमंत्री और भारतीय हाकी टीम के पूर्व कप्तान संदीप सिंह पर एक जूनियर महिला कोच ने छेड़छाड़, बंधक बनाने और धमकी देने के आरोप लगाये हैं। इस मामले में चंडीगढ़ पुलिस ने धारा 354, 354 A, 354 B, 342 और 506 के तहत मामला दर्ज किया है। इनमें दो धाराएं गैर जमानती हैं।
पीड़ित महिला कोच ने 30 दिसंबर को चंडीगढ़ पुलिस के एस पी को मंत्री के खिलाफ शिकायत दी। जिस पर बाद में एफआई आर दर्ज करके जांच शुरू कर दी है। इस हाई प्रोफाइल मामले की जांच के लिए एक एस आई टी का गठन किया गया है, जिसकी अगुवाई डीएसपी पलक गोयल करेंगी और सुपरविजन एस पी सिटी श्रुति अरोड़ा करेंगी।
चंडीगढ़ पुलिस की एस आई टी ने जांच शुरू कर दी है। इससे पहले जूनियर महिला कोच ने इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला के चंडीगढ़ स्थित आवास पर एक पत्रकार वार्ता में राज्यमंत्री पर यौन प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाये थे।
इस बीच यौन प्रताड़ना के आरोप लगने के चौथे दिन खेल राज्यमंत्री संदीप सिंह ने मुख्यमंत्री से मिलकर, नैतिकता के आधार पर खेल विभाग उन्हें सौंप दिया। और मुख्यमंत्री ने विभाग ले भी लिया। अब संदीप सिंह केवल प्रिंटिंग और स्टेशनरी विभाग के मंत्री बने रहेंगे। ऐसी नैतिकता का देश में शायद ये पहला उदाहरण होगा।
जिसमें यौन प्रताड़ना जैसे गंभीर आरोप लगने और गैर जमानती धाराओं में केस दर्ज होने के बाद, आरोपी मंत्री पद से इस्तीफा देने की बजाय केवल एक विभाग मुख्यमंत्री को सौंप दे। होना तो ये चाहिए था कि आरोप लगने के बाद संदीप सिंह खुद मंत्री पद से इस्तीफा दे देते और यदि वे नहीं देते, तो मुख्यमंत्री उन्हें बर्खास्त कर देते।
लेकिन चाल चरित्र की दुहाई देने वाली भाजपा के नेतृत्व से इससे ज्यादा नैतिकता की अपेक्षा करना भी उचित नहीं है। अब समूचा विपक्ष सरकार पर हमलावर है। तमाम विपक्षी नेता आरोपी मंत्री को बर्खास्त करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल चुप हैं। ऐसे मौकों पर अक्सर वे विपक्ष के हमलों का जवाब देने की बजाय मौन रहना ही उचित समझते हैं।
वहीं जूनियर कोच ने इतवार को प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज से मिलकर खेल मंत्री के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। विज ने पीड़िता को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया। वहीं आरोपी मंत्री संदीप सिंह की शिकायत पर डीजीपी प्रशांत अग्रवाल ने रोहतक रेंज की एडीजीपी ममता सिंह के नेतृत्व में तीन अधिकारियों की एक फेक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया है।
मंत्री संदीप सिंह ने महिला कोच पर उनकी छवि खराब करने का आरोप लगाया है। अब सवाल ये उठता है कि जब मामला चंडीगढ़ का है और चंडीगढ़ पुलिस ने एफआईआर दर्ज करके जांच शुरू कर दी है तो हरियाणा पुलिस के फेक्ट फाइंडिंग कमेटी गठन करने का औचित्य क्या है? कानून के जानकारों का कहना है कि हरियाणा पुलिस की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी पीड़िता पर दबाव बनाने के लिए बनायी गयी है।
यहां गृहमंत्री अनिल विज कि भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। उन्होंने पीड़ित महिला कोच की शिकायत पर तो कोई जांच कमेटी नहीं बनायी, लेकिन मंत्री की छवि खराब करने की शिकायत पर चंडीगढ़ पुलिस के जांच शुरू करने के बावजूद एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बना दी।
अब इसका जवाब तो विज साहब ही दे सकते हैं कि उनकी मंशा क्या है? वे वास्तव में पीड़िता को न्याय दिलवाना चाहते हैं या मंत्री को बचाना।
वहीं पीड़ित महिला कोच ने साफ कह दिया है कि वह हरियाणा पुलिस की किसी भी जांच में तब तक शामिल नहीं होंगी, जब तक मंत्री संदीप सिंह अपने पद से इस्तीफा नहीं दे देते। पीड़िता ने शोसल मीडिया के जरिये धमकी देने का भी आरोप लगाया है।
वहीं राज्यमंत्री संदीप सिंह ने सभी आरोपों को झूठे और बेबुनियाद करार देते हुए खुद को पाक साफ बताया है।
बेशक संदीप सिंह एक नायाब खिलाड़ी रहे हैं और खेल जगत में उनका एक खास रूतबा और सम्मान है। लेकिन एक मंत्री के तौर पर उनसे थोड़ी नैतिकता की अपेक्षा जरूर है कि वे जांच को प्रभावित करने के आरोपों से बचने के लिए विभाग मुख्यमंत्री को सौंपने की बजाय, मंत्री पद से इस्तीफा ही मुख्यमंत्री को सौंप देते और खुद चंडीगढ़ पुलिस के पास जाकर जांच में शामिल होने का साहस दिखाते।
यौन प्रताडना के आरोपों का सच तो निष्पक्ष जांच में सामने आयेगा। लेकिन इस प्रकरण से खेल जगत में फैली गंदगी एक बार फिर उजागर हो गयी है। देश की महिला खिलाडियों को जहां एक तरफ खेल में खुद को साबित करने के लिए जोर लगाना पड़ता है।
वहीं उन्हें अपनी इज्जत व सम्मान बचाये रखने के लिए भी पर संघर्ष करना पड़ता। यह हमारी सरकार और समाज के लिए शर्म का विषय है कि हम ना केवल महिला खिलाडियों, बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी महिलाओं को निरापद और सुरक्षित वातावरण दे पाने में विफल रहे हैं।