- धूपम केक से 72 घंटे तक बैक्टीरिया करीब नहीं आता
- ओजस क्वाथ काढ़ा से रोग प्रतिरोधक क्षमता में होगा इजाफा
देहरादून। कोरोना की आहट से आम इंसान दहशत में है। वहीं उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति डा. प्रो. सुनील जोशी का मानना है कि उत्तराखंड या पर्वतीय राज्यों में ही नहीं बल्कि पूरे देश में कोरोना की तीसरी लहर बेअसर रहेगी।
कुलपति डा. जोशी ने उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में बातचीत के दौरान कहा कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर से देश सबक ले चुका है। आयुर्वेद कोरोना पर परचम फहरा चुका है।
डा.जोशी ने कहा कि उत्तराखंड में 100 फीसद वैक्सीनेशन का काम पूरा हो गया है। बूस्टर डोज लगाने का सिलसिला जारी है। यही स्थिति सभी राज्यों में है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में अन्य दवाओं के मुकाबले आयुर्वेद की दवाएं काफी कारगर हैं। कोरोना के वैरिएंट निरंतर बदल रहे हैं लेकिन वैक्सीन तो मिलती-जुलती और एक सी है। ऐसी स्थिति में कोरोना से निपटने में आयुर्वेदिक दवाएं बेहद उपयोगी हैं। आयुर्वेद कोरोना के अलग -अलग वैरिएंट से निपटने में सक्षम है।
कुलपति डॉ. सुनील जोशी ने कहा कि छोटे बच्चों के लिए खासकर जिनकी उम्र 14 साल के नीचे है, उनके लिए स्वर्ण बिन्दु प्रासन्न काफी कारगर है। इसके इतर उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने कोरोना से निपटने के लिए ओजस क्वाथ काढ़ा बनाया है।
इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेजोड़ है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा धूपम केक का निर्माण किया गया है। इसका धूपम यंत्र के सहारे फॉगिंग की जाती है। डा. सुनील जोशी के मुताबिक धूपम केक में कोई केमिकल नहीं है। इसके छिडक़ाव से किसी नुकसान होने की आशंका नहीं है।
इसे जटामासी, सुंगधवाला सफेद सरसों तथा नीम जैसी चीजों के मिश्रण से बनाया गया है। डा. जोशी ने बताया कि इसके छिडक़ाव से करीब 72 घंटे तक कोई भी बैक्टीरिया पास नहीं आता। उन्होंने कहा कि कोरोना से निपटने में अश्वगंधा भी काफी कारगर है। इससे करीब 45 दिनों तक सेल्स में ताकत बनी रहती है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में अभी से सभी को हल्दी का दूध, काढ़ा, गिलोय, तुलसी, कच्चा आंवला का सेवन शुरू कर देना चाहिए। इसके अलावा प्राणायाम पर भी फोकस करना चाहिए। इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि कोरोना का प्रभाव शरीर पर नहीं पड़ेगा।
डॉ. जोशी ने बताया कि सोशल मीडिया में कोरोना को लेकर भ्रामक प्रचार किए जा रहे हैं। इससे बचने की जरूरत है। उन्होंने दावा किया कि कोरोना की तीसरी देश में बेअसर साबित होगी। इसकी वजह यह है कि भारतीय शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से ताकतवर हैं।