नयी दिल्ली। आईआईटी कानपुर ने स्टील के ऊपर कार्बनिक पदार्थों की परत चढ़ाकर कार्बनिक सोलर सेल ( सौर ऊर्जा सेल ) विकसित किया है जो सौर विद्युत पैदा करने के साथ-साथ भवनों पर इस्पात की चादर वाली छत का भी काम कर सकते हैं। यही नहीं, बताया गया है इस तरह के सौर-पाल बिजली तैयार करने में अधिक कारगर हैं।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा है कि ये कार्बनिक सोलर सेल कार्बनिक पॉलिमर और पीसीबीएम यानी कार्बनिक सेमीकंडक्टर (अर्धसंवाहकों) के प्रयोग से तैयार किए गए हैं। कार्बन या प्लास्टिक आधारित सामग्री और कार्बनिक इलेक्ट्रॉनिक्स से बने कार्बनिक सौर सेल अधिक हल्के, लचीले, पतले होते हैं और सामान्य सौर सेल से अधिक टिकाऊ होते हैं।
पारंपरिक सौर सेल की तुलना में इनसे अपेक्षाकृत बहुत बड़े क्षेत्र को आच्छादित किया जा सकता है। बयान में कहा गया है कि आईआईटी कानपुर के अनुसंधानकर्ताओं ने नयी पीढ़ी के सौर-सेल के विकास में सेमीकंडक्टर के अंतरगत कार्बनिक पालिमर पीटीबी7 का इस्तेमाल ‘डोनर’ ( उच्चा ऊर्जा ग्रिड या ऊर्जा प्रदाता) तथा पीसीबीएम को ‘एक्सेप्टर’ (ग्राही या ऊर्जा को आगे संप्रेषित करने वाला अंग) तैयार करने में प्रयोग किया गया है।
सौर सेल के बीच में अपारदर्शी इस्पात की परत है। सौर सोल का ऊपरी इलेक्ट्रॉड एमओओ3/एयू/एमओओ3 संयोजन के साथ ऊर्जा संप्रेषण की उच्च दक्षता वाला इलेक्ट्रॉड है। ये इलेक्ट्रोड केवल धात्विक इलेक्ट्रोड की तुलना में अधिक अवरोधमुक्त ऊर्जा संप्रेषण प्रदान करते हैं। सोने के एकल परत वाले टॉप मेटल इलेक्ट्रॉड वाले उपकरणों की तुलना में इनका प्रदर्शन डेढ़गुना अधिक है।