रेलवे अतिक्रमणकारियों को पुनर्वास मामले में भी हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत

नैनीताल । उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे की भूमि पर काबिज अतिक्रमणकारियों को शुक्रवार को भी उच्च न्यायालय से कोई राहत नहीं मिल पायी। अदालत ने पुनर्वास पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया।

अदालत ने कहा कि पहले अतिक्रमणकारी भूमि खाली करें। न्यायमूर्ति शरत कुमार शर्मा व न्यायमूर्ति आर सी खुल्बे की युगलपीठ ने हल्द्वानी निवासी रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर मंगलवार को महत्वपूर्ण आदेश जारी कर 29 एकड़ भूमि पर से 4365 अतिक्रमणकारियों को हटाने के निर्देश शासन को दिये थे।

अदालत ने एक सप्ताह में नोटिस जारी कर अतिक्रमण को ध्वस्त करने व जरूरत पड़ने पर आवश्यक बल प्रयोग के निर्देश भी दिये। इसी बीच एक अतिक्रमणकारी मुस्तफा हुसैन की ओर से अदालत में प्रार्थना पत्र देकर अतिक्रमणकारियों के पुनर्वास की मांग की गयी।

अदालत ने इस मामले में आज सुनवाई की। याचिकाकर्ता की ओर से मांग की गयी कि अतिक्रमणकारियों को हटाने से पहले उनका पुनर्वास किया जाये। अदालत ने कहा कि अतिक्रमणकारी पहले भूमि खाली करें उसके बाद पुनर्वास की बात सुनी जायेगी। हालांकि अतिक्रमणकारियों ने भूमि खाली करने को लेकर कोई सहमति नहीं दी।

अदालत ने भी इस मामले में न सुनवाई की और न ही कोई आदेश पारित किया। यहां बता दें कि उच्च न्यायालय इससे छह साल पहले भी रविशंकर जोशी की ही ओर से दायर जनहित याचिका पर नौ नवम्बर, 2016 को आदेश जारी कर 10 हफ्ते में रेलवे की भूमि से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिये थे।

इस बीच प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने समीक्षा याचिका दायर कर फैसले की समीक्षा करने की मांग की लेकिन अदालत ने सरकार को कोई राहत नहीं दी और याचिका को खारिज कर दिया। इसके बाद अतिक्रमणकारी उच्चतम न्यायालय पहुंच गये लेकिन वहां से भी उन्हें निराशा हाथ लगी।

इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने अदालत में प्रार्थना पत्र देकर कहा कि रेलवे की ओर से उनका पक्ष नहीं सुना गया है। अदालत ने एक बार फिर अतिक्रमणकारियों को अदालत में अपना दावा प्रस्तुत करने को कहा। करीब 4365 में से लगभग तीन दर्जन अतिक्रमणकारी अदालत पहुंचे और अदालत ने सुबूतों के अभाव में 20 दिसंबर 2022 को उनका दावा भी खारिज कर दिया। साथ ही सरकार को एक सप्ताह के नोटिस के साथ अतिक्रमण ध्वस्त करने के निर्देश दे दिये।

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