देहरादून। बैकडोर कर्मी बर्खास्त तो कर दिए गए हैं लेकिन सवाल यह है कि आखिर सरकारी खजाने (जनता के धन) से इन लोगों को पांच -छह साल तक तन्ख्वाहें दी गई उस बर्बाद हुए धन का क्या होगा। जनता के धन की रिकवरी कब होगी।
अगर एक कर्मचारी का मासिक वेतन 50 हजार रुपये मानी जाए और सेवाकाल करीब पांच साल माना जाए तो सरकार इन कर्मियों को करीब 45 करोड़ रुपये का भुगतान तो कर ही चुकी है। शासन के कार्मिक विभाग के कुछ अधिकारियों का कहना है कि जब नियुक्तियां अवैध थी तो उनसे दिए गए वेतन की रिकवरी की जानी चाहिए। वैसे बता दें कि विस में अवैध भर्ती पाए लोगों से वेतन की वसूली के लिए नैनीताल हाईकोर्ट में एक याचिका दायर हो चुकी है।