नयी दिल्ली। किसी समय में आयुर्वेद और योग को उपेक्षित समझा जाता था, आज वही पूरी मानवता के लिए नई उम्मीद बना है। आयुर्वेद के परिणाम पहले भी थे, प्रभाव भी थे मगर इसे प्रमाणित करने के मामले में हम पिछड़े थे। जरुरत है कि डेटा आधारित एविडेंस का डॉक्यूमेंटेशन किया जाए। ये कहना है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का। वो पणजी में 9वें विश्व आयुर्वेद समापन समारोह में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने AIIMS के आयुष अस्पताल का उद्घाटन किया।
इसके साथ ही उन्होने तीन राष्ट्रीय आयुष संस्थानों का उद्घाटन किया। इसमें अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान का उद्घाटन भी हुआ है जो देश भर में आयुर्वेद के बारे में जागरुकता फैलाएगी। इसके जरिए आयुर्वेद की अधिक से अधिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
बता दें कि पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम से ही उत्तर प्रदेश के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ यूनानी मेडिसिन और दिल्ली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ होम्योपैथी का वर्चुअल उद्घाटन भी किया। इस दौरान उन्होंने संबोधित करते हुए कहा कि आज के समय में किसी भी देश को शॉर्ट कट अपनाने से फायदा नहीं होगा। देश की प्रगति और विकास के लिए जरुरी है कि समस्याओं का स्थायी समाधान निकाला जाए और उस पर काम किया जाए। विकास करने के लिए लॉन्ग टर्म विजन बहुत जरूरी है।
उन्होंने कहा कि दुनिया के सक्ष वन अर्थ, वन हेल्थ का विजन भी है। वन अर्थ वन हेल्थ का अर्थ है कि स्वास्थ्य को लेकर एक वैश्विक विजन होना। कुछ लोगों का मानना है कि आयुर्वेद सिर्फ इलाज के लिए है मगर ये सिर्फ इलाज नहीं करता बल्कि जीवन जीने का तरीका सिखाता है। आयुर्वेद के जरिए व्यक्ति शरीर के साथ मन को भी स्वस्थ रखने के विकल्पों के बारे में गौर कर सकता है। शरीर और मन के बीच समन्वय बनाए रखने में आयुर्वेद काफी कारगर होता है।