हिंदी और साहित्य क्रान्तिधरा में सरस्वती पुत्रो का वंदन!

डॉ श्रीगोपालनारसन एडवोकेट
मेरठ में एक पर्यावरणविद है विजय पंडित जो अपनी युगल पूनम पंडित के साथ मिलकर हिंदी और साहित्य की क्रान्तिधरा पर सरस्वती पुत्रो का वंदन कर रहे है।देश की सीमाओं को साहित्यिक रचनाधर्मिता से पाटकर भारत समेत विभिन्न देशों के हिंदी सेवियों को जहां उन्होंने एक मंच पर लाने का काम किया है,वही संस्कृति, संस्कार के प्रतिबिंब लोकोपयोगी सांहित्य को अनुवाद के माध्यम से सांस्कृतिक सेतु के रूप में देश की सीमा रेखाओं पर स्थापित भी किया है।
इस युगल दम्पत्ति ने क्रांतिधरा साहित्य अकादमी संस्था के माध्यम से चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के सहयोग से बृहस्पति भवन में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल का छठा संस्करण मनाया।जिसके उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में जापान की वरिष्ठ हिन्दी सेवी डा. रमा पूर्णिमा शर्मा ने भाग लिया।
वही विशिष्ट अतिथि के रूप में भारतीय ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री,विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ के उपकुलसचिव श्रीगोपाल नारसन, ब्रिटेन में हिंदी शिक्षिका जया वर्मा ,नेपाल के विद्वान हयग्रीव आचार्य और रूस से श्वेता सिंह ऊमा ने अपने हिंदी प्रेम की छाप छोड़ी। चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष डा. नवीन चंद्र लोहनी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि हिन्दी को रोजगार की भाषा बनाना होगा,तभी हिंदी की तरफ युवाओं को रुझान होगा।इसके लिए आनेवाली पीढी को हिन्दी से जोडना चाहिए।तीन दिवसीय महोत्सव में हिन्दी की वैश्विक स्तिथि पर परिचर्चा हुई जिसका संचालन विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग की डा. अंजु सिंह ने किया,जबकि वक्ताओ के रूप में  प्रदीप देवीशरण भट्ट, डा. अशोक मैत्रेय, डा. ईश्वर चंद गंभीर रहे, वरिष्ठ साहित्यकार डा अशोक मैत्रेय ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण तो है ही साथ ही वह दीपक का भी काम करता है जो समाज को नई राह दिखाता है।
 डिजिटल क्रांति में पुस्तकों से दूरी विषय पर आयोजित परिचर्चा का संचालन विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ के उपकुलसचिव श्रीगोपाल नारसन ने किया। आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय की शैक्षणिक सलाहकार डा. विदूषी शर्मा,साहित्यलोक के अध्यक्ष डा. सुबोध कुमार गर्ग वक्ता के रूप में शामिल रहे।शाम के समय अंतरराष्ट्रीय मुशायरा भी हुआ।
जिसकी सदारत रियाज सागर ने की, मुशायरे मे अतिथि के रूप में विएना आस्ट्रीया से सुनीता चावला रहीं, वरिष्ठ शायर किशन स्वरूप, अनुराग मिश्र गैर, के.के. भसीन, सुंदर लाल मेहरानीयां, डा. रामगोपाल भारतीय, दिलदार देहलवी, डा. एजाज़ पापूलर मेरठी, अनिमेष शर्मा, मनोज फगवाड़वी, फकरी मेरठी, मुकर्रर अदना, सपना अहसास, डा. अमर पंकज, सुप्रिया सिंह वीणा, देवेंद्र शर्मा देव ने शिरकत की।
 आयोजक डा. विजय पंडित ने कहा कि देश दुनियां में साहित्य, संस्कृति, आध्यात्म, योग के माध्यम से दिलो को दिलो से जोड़ना ही उनका उद्देश्य है।
वही इस आयोजन के माध्यम से एक दूसरे के लेखन व शोध से रूबरू कराना, अनुवाद मंच उपलब्ध कराना, प्रकाशन की दिशा में पहल, साहित्य से जुड़े विचारों का आदान प्रदान करना, परस्पर सहयोग की भावना पैदा, पठन – पाठन व साहित्य के दायरे का विस्तार करने के साथ ही नवोदित व गुमनाम कलमकारो को वरिष्ठ साहित्यकारों के सानिध्य में एक अंतरराष्ट्रीय मंच प्रदान करना हैं।
इस महोत्सव में विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ की ओर से श्रीगोपालनारसन ने विजय पंडित को उनके हिंदी योगदान के लिए ‘विद्या वाचस्पति’ की मानद उपाधि शाल ओढ़ाकर प्रदान की वही श्रीगोपालनारसन लिखित पुस्तक ‘श्रीमद्भागवत गीता शिव परमात्मा उवाच ‘ का विमोचन भी किया गया।महोत्सव में स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी परिवार समिति के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र सैनी ,वरिष्ठ पत्रकार ज्ञान प्रकाश समेत अनेक साहित्यप्रेमी मौजूद रहे।

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