नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने रामनगर स्थित एमपी इंटर कालेज के खेल मैदान पर खेल की गतिविधियों के अलावा होने वाली अन्य सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी है। साथ ही शहरी विकास विभाग के निदेशक समेत सभी पक्षकारों से 23 मार्च तक जवाब देने के निर्देश दिये हैं।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की युगलपीठ ने ये निर्देश रामनगर निवासी शादाब उल हक की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई के बाद दिये। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि सरकार की ओर से 1933 में रामनगर स्थित 11000 वर्ग गज भूमि को तत्कालीन रामा एंग्लो वर्नाक्यूलर स्कूल (अब एमपी इंटर कालेज) को खेल गतिविधियों के लिये दी गयी थी।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि यह भूमि पहले 30 साल की अवधि के लिये नि:शुल्क लीज पर दी गयी और इसके बाद 1965 में पुन: लीज 30 साल के लिये लीज बढ़ा दी गयी। इसका उद्देश्य खेल गतिविधियों को बढ़ावा देना था।
याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि इस खेल मैदान का मालिकाना हक एवं प्रबंधन स्थानीय नगर पालिका के पास है लेकिन कॉलेज प्रबंधन बिना नगर पालिका की अनुमति के खेल मैदान पर व्यावसायिक गतिविधि (नुमाइश व मेला) आयोजित कर रहा है।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि यह लीज शर्तों का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि 1995 के बाद खेल मैदान की लीज का नवीनीकरण नहीं हुआ है। मामले को सुनने के बाद अदालत ने खेल मैदान में खेल के अलावा होने वाली अन्य सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी है। साथ ही सभी पक्षकारों से जवाब देने को कहा है।