आखिर क्या चूक हुई जो कमलेश को उठाना पड़ा घातक कदम

बागेश्वर। अग्निवीर बनने की चाहत का सपना पाले कमलेश के जीवन में कैसे व कहां पर चूक हुई कि उसे अग्निवीर का परिणाम घोषित होते ही अपनी जीवन लीला समाप्त करने की आवश्यकता पड़ा।

कमलेश इतना क्षुब्ध क्यों हुआ कि अग्निवीर में चयन न होने की जानकारी होते ही ऐसा कदम क्यों उठाया कि उसे अपने गरीब व वृद्ध माता पिता की क्या हालत होगी यह याद तक न रहा। कमलेश की आत्महत्या कई सवाल छोड़ गई है।

कमलेश के परिजनों ने बताया कि कमलेश के परिवार की माली हालत सही नहीं है। उसके माता-पिता गांव में ही रहकर मेहनत मजदूरी करते हैं जबकि बड़ा भाई ने तीन दिन पूर्व ही जीविकोपार्जन के लिए दुकान खोली थी छोटा भाई मुंबई में होटल में मजदूरी करता है।

परिजनों के अनुसार कमलेश को बचपन से ही सेना में जाने की इच्छा थी तथा इसके लिए वह नियमित रूप से तैयारी करता था। सरकार द्वारा अग्निवीर के पदों पर नियुक्ति निकालने के बाद से वह काफी उत्साहित था तथा उसकी इच्छा थी कि चार साल की सेवा में वह देश सेवा करने के साथ ही परिवार की आर्थिकी भी सही कर लेगा तथा इसके बाद अपने माता-पिता की सेवा करेगा।

परंतु नियति को यह मंजूर नहीं हुआ तथा उसे इस दौर से गुजरना पड़ा कि उसने अपनी जीवन लीला ही समाप्त करने की ठान ली तथा अपने परिवार समेत संगी साथियों को रोता विलखता छोड़ गया।
कमलेश की मौत के बाद जो सवाल प्रमुख रूप से उठ रहे हैं उनमें यह कहा जा रहा है कि कमलेश की  अग्निवीर  भर्ती परीक्षा में शारीरिक परीक्षा, स्वास्थ्य परीक्षण परीक्षा में शत प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे।

एनसीसी का सी प्रमाण पत्र धारक होने के कारण उसने लिखित परीक्षा नहीं दी थी। क्योंकि नियम है कि सी प्रमाण पत्र वाले अभ्यर्थी की लिखित परीक्षा नहीं होती है। कमलेश ने सेना में भर्ती होने की चाहत में स्कूल में एनसीसी का सी सर्टिफिकेट प्राप्त किया था। इतनी योग्यता होने के बाद भी कमलेश का चयन अग्निवीर में क्यों नहीं हुआ तथा उसे आत्महत्या करने के लिए मजबूर क्यों होना पड़ा इन सवालों का जवाब शायद मिलना संभव न हो।

स्टेटस में डाला वीडियो कर रहा भावुक

आत्महत्या से पहले कमलेश ने अपने स्टेटस में रोते हुए जिस तरह से अपने प्राप्तांक व अन्य योग्यता की जानकारी देते हुए व्यवस्था को कोसा है उसे देखकर हर कोई भावुक हो रहा है तथा तरह तरह के सवाल उठा रहा है।

राज्य स्तरीय धावक था कमलेश

अग्निवीर  न बन पाने से क्षुब्ध कमलेश को बचपन से सेना में जाने का चाहत थी तथा उसका खेल के प्रति काफी रूझान था। वह इंटर कालेज फरसाली से कुशल धावक था तथा राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन कर चुका है।
अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा देना अनिवार्य नहीं

अग्निवीर व सेना में भर्ती अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा देना अनिवार्य नहीं है। इस मामले में यह जानकारी आवश्यक है कि लिखित में सी प्रमाण पत्र वाले कितने अभ्यर्थी शामिल रहे। हो सकता है कि पद के सापेक्ष इनकी संख्या अधिक हो या कोई अन्य कारण हो सकता है। यह अलग मामला है। भर्ती प्रक्रिया के नियमों का अवलोकन करना होगा।

कर्नल वीके उप्रेती, एनसीसी अधिकारी।

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