गुजरात में टाटा स्थापित करेगी हवाई जहाज बनाने का कारखाना 

नईदिल्ली। गुजरात में भी टाटा कंपनी एक बड़ा कारखाना स्थापित करने जा रही है। इसके तहत वहां अगले चार वर्षों के भीतर एयरबस का निर्माण प्रारंभ किया जाएगा। स्पेन के सेविले में तैयार 16 ऐसे विमानों को यहां पर पहले अंतिम रुप प्रदान किया जाएगा।

उसके बाद अगले चरण में 40 ऐसे विमानों का निर्माण गुजरात के इस कारखाना में होगा। जो भारी विमान टाटा के द्वारा इस कारखाना में तैयार किया जाएगा, उनका इस्तेमाल भारतीय वायुसेना के लिए किया जाएगा।

इस मालवाहक विमानों को सी 295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट की श्रेणी में रखा गया है। रक्षा सचिव अजय कुमार ने औपचारिक तौर पर इस पहल का संकेत दिया है। उन्होंने गुरुवार को कहा है कि पहली बार इस श्रेणी के विमान यूरोप के बाहर तैयार किये जाने की पहल हुई है। गुजरात के बड़ोदरा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी नींव रखेंगे। यह कार्यक्रम आगामी 30 अक्टूबर को प्रस्तावित है।

दूसरी तरफ राजनीतिक खेमों में चर्चा है कि इस काम के पूरा हो जाने के बाद ही चुनाव आयोग वहां पर विधानसभा चुनाव के कार्यक्रमों का एलान करेगा। पहले ही वहां थोक के भाव में सरकारी अधिकारियों के तबादले किये जा रहे हैं। चुनाव के ठीक पहले एक साथ हजारों अफसरों को बदलने का नया रिकार्ड गुजरात में कायम हो गया है।

गुजरात के इस प्रस्तावित कारखाना के जरिए स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे। इसके लिए भारत ने पहले ही करीब 21 हजार करोड़ के एक समझौते पर वर्ष 2021 में हस्ताक्षर किये थे। कारखाना बनकर तैयार होने के बीच स्पेन में तैयार विमानों को यहां लाकर एसेंबल किया जाएगा। उसके बाद विमानों का पूर्ण निर्माण यहां प्रारंभ हो जाएगा।

रक्षा सचिव के मुताबिक सब कुछ ठीक रहा तो भविष्य में भारत में तैयार होने वाले इन विमानों का निर्यात भी किया जाएगा। दूसरी तरफ भारतीय वायुसेना का दावा है कि इन विमानों के आन के बाद क्रमवार तरीके से पुराने एवरो 748 विमानों को बदला जाएगा, जो काफी पुराने हो चुके हैं। इस परियोजना को आनन फानन में डीजीएक्यूए ने स्वीकृत भी कर दिया है।

यही संस्था ऐसी परियोजनाओँ की मंजूरी देने के लिए अधिकृत है। वैसे बताया गया है कि इस श्रेणी के विमानों में 71 सैनिक या 50 पैराट्रूपरों को भी ले जाया जा सकता है। दूसरे भारी विमान जहां नहीं पहुंच सकते हैं, वहां भी इसे ले जाया जा सकता है। सेना की टुकड़ियों को हवा से किसी खास स्थान पर उतारने के अलावा राहत कार्यों के दौरान भी इनका इस्तेमाल किया जा सकेगा।

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